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बांबे हाई कोर्ट ने IL&FS ग्रुप कंपनियों के दो ऑडिटर्स को दी बड़ी राहत

हाई कोर्ट ने आइएलएंडएफएस मामले में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्‍यूनल (एनसीएलटी) तथा मुंबई की एक विशेष अदालत में दोनों के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के सभी लंबित आरोप खारिज कर दिए हैं।

By Manish MishraEdited By: Published: Wed, 22 Apr 2020 08:55 AM (IST)Updated: Wed, 22 Apr 2020 08:52 PM (IST)
बांबे हाई कोर्ट ने IL&FS ग्रुप कंपनियों के दो ऑडिटर्स को दी बड़ी राहत
बांबे हाई कोर्ट ने IL&FS ग्रुप कंपनियों के दो ऑडिटर्स को दी बड़ी राहत

मुंबई, पीटीआइ। बांबे हाई कोर्ट ने मंगलवार को आइएलएंडएफएस ग्रुप की कंपनियों के दो पूर्व ऑडिटर्स बीएसआर एंड एसोसिएट्स तथा डेलॉय हैस्किन्स एंड सेल्स को बड़ी राहत दी है। हाई कोर्ट ने आइएलएंडएफएस मामले में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्‍यूनल (एनसीएलटी) तथा मुंबई की एक विशेष अदालत में दोनों के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के सभी लंबित आरोप खारिज कर दिए हैं। केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष एनसीएलटी में याचिका दायर कर दोनों को आइएलएंडएफएस के ऑडिटर्स के पद से हटाने की मांग की थी।

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बीएसआर और डेलॉय ने पिछले वर्ष हाई कोर्ट में याचिका दायर कर केंद्र सरकार की इस याचिका को खारिज करने का आग्रह किया था। दोनों ने कंपनी कानून की उस धाारा 140 (5) की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी थी, जिसके तहत यह प्रावधान है कि अगर कोई ऑडिटर किसी कंपनी में धोखाधाड़ी में शामिल पाया जाए या उस पर धोखाधाड़ी पर पर्दा डालने का आरोप साबित हो जाए तो उसे बर्खास्त कर पांच वषों तक के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।

मंगलवार को हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश बीपी धर्माधिकारी और न्यायाधीश एनआर बोरकर की खंडपीठ ने अपने फैसले में हालांकि कंपनी कानून की धारा 140 (5) की संवैधानिक वैधता को सही ठहराया। लेकिन उसका कहना था कि धोखाधाड़ी के आरोप वाली ऑडिट कंपनियों से संबंधित यह धारा उन ऑडिटर्स पर लागू नहीं होती जो पहले ही इस्तीफा दे चुकी हों या जिन्हें रोटेशन के आधार पर पहले ही बाहर किया जा चुका हो।

खंडपीठ ने कहा कि बीएसआर ने पहले ही इस्तीफा दे दिया था और यह मामला एनसीएलटी में आने से पहले ही डेलॉय को रोटेशनल आधार पर हटाया जा चुका था। लिहाजा इन दोनों पर कंपनी कानून की यह धारा लागू नहीं होगी। इस मामले में आइएलएंडएफएस के अन्य पूर्व ऑडिटर्स, एन. गणोश संपत, कल्पेश मेहता और उदयन सेन ने याचिकाएं दाखिल की थीं, जिन्हें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया।

दोनों ऑडिटर्स ने गंभीर अपराध जांच कार्यालय (एसएफआइओ) द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर कॉरपोरेट मामलों के मंत्रलय द्वारा उनके खिलाफ एक विशेष अदालत में दाखिल आपराध्कि मुकदमे की सुनवाई को भी चुनौती दी थी। पिछले वर्ष जून में कॉरपोरेट मामलों के मंत्रलय ने दोनों ऑडिटर्स को हटाने और उनके खिलाफ आइएलएंडएफएस मामले में आपराधिक मुकदमा चलाने की इजाजत मांगी थी।


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