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Cryptocurrency: 1.5 करोड़ भारतीय कर रहे हैं Trading; जानिए क्या है इससे जुड़े नफा-नुकसान

पिछले साल अप्रैल में एक क्रिप्टोकरेंसी की कीमत 12000 रुपये थी जो अभी 25000 रुपये के स्तर पर है। एक साल में इस प्रकार के रिटर्न को देखते हुए ही भारतीय निवेशकों का रूझान क्रिप्टोकरेंसी को लेकर साफ देखा जा सकता है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sun, 18 Jul 2021 07:56 PM (IST)Updated: Mon, 19 Jul 2021 06:45 AM (IST)
Cryptocurrency: 1.5 करोड़ भारतीय कर रहे हैं Trading; जानिए क्या है इससे जुड़े नफा-नुकसान
पिछले एक साल में क्रिप्टोकरेंसी में होने वाली भारतीय निवेश में 612 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।

नई दिल्ली, राजीव कुमार। पिछले साल अप्रैल में एक क्रिप्टोकरेंसी की कीमत 12,000 रुपये थी जो अभी 25,000 रुपये के स्तर पर है। एक साल में इस प्रकार के रिटर्न को देखते हुए ही भारतीय निवेशकों का रूझान क्रिप्टोकरेंसी को लेकर साफ देखा जा सकता है। पिछले एक साल में क्रिप्टोकरेंसी में होने वाली भारतीय निवेश में 612 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। ब्लाकचेन एनालिटिक्स फर्म चेनएनालिसिस की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल क्रिप्टो बाजार में भारतीयों का निवेश 92.30 करोड़ डालर का था जो एक साल में बढ़कर 6.6 अरब डॉलर हो गया। रिपोर्ट के मुताबिक डेढ़ करोड़ भारतीय फिलहाल क्रिप्टो की ट्रेडिंग करते हैं।

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अमेरिका में क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग करने वालों की संख्या 2.3 करोड़ है तो ब्रिटेन में सिर्फ 23 लाख लोग इसमें ट्रेडिंग करते हैं। हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकार का रुख अब भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। पिछले दो साल से सरकार के अंदर क्रिप्टोकरेंसी को लेकर ऊहापोह की स्थिति है। पहले सरकार क्रिप्टो को प्रतिबंधित करने के लिए बिल लाना चाहती थी, लेकिन अब क्रिप्टो को नियंत्रित करने की बात चल रही है।

तीन साल पहले आरबीआइ ने बैंकों के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन पर रोक लगाई थी। हालांकि, इससे सुप्रीम कोर्ट सहमत नहीं था। 19 जून से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में भी क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित बिल लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी एक कार्यक्रम में इसका संकेत दिया था कि क्रिप्टोकरेंसी को पूरी तरह से प्रतिबंधित नहीं किया जाएगा। जाहिर है सरकार कहीं न कहीं क्रिप्टोकरेंसी को लेकर नए सिरे से कानून लाना चाहती है। 

क्या है क्रिप्टोकरेंसी

यह एक तरह की डिजिटल करेंसी है। दुनिया में सैकड़ों तरह की क्रिप्टोकरेंसी हैं। भारत में मुख्य रूप से दस प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार होता है। इसमें बिटकाइन, एथेरियम, डोजे, पोल्काडाट, बिनानसे और ट्रोन नामक क्रिप्टोकरेंसी अधिक प्रचलित हैं। क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-फरोख्त पूरी तरह से क्रिप्टो एक्सचेंज पर होती है। भारत में क्रिप्टो कारोबार को संचालित करने के लिए छह प्रमुख एक्सचेंज हैं। इनमें वजीरएक्स, कायनडीसीएक्स, कायनस्वीच कुबेर, यूनोकायन, जेबपे और बाइयूकायन शामिल हैं। क्रिप्टो की खरीदारी के लिए एक्सचेंज पर जाकर आनलाइन एकाउंट खुलवाना होता है, जिसके लिए मात्र 100-200 रुपये का शुल्क लगता है। 

क्या हैं जोखिम

दूसरे देशों की कई कंपनियां क्रिप्टोकरेंसी में भुगतान स्वीकर कर रही हैं, लेकिन इनकी संख्या बहुत ही कम है। अन्य करेंसी की तरह क्रिप्टोकरेंसी कोई वैधानिक करेंसी नहीं है। कोई सरकार इसकी गारंटी नहीं लेती है। शेयर बाजार में जब किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं तो वह कंपनी उस शेयर की गारंटी देती है और एक्सचेंज के नियामक के रूप में सरकारी एजेंसी काम करती है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं होता है। 

फिर भी है आकर्षण

निवेश विशेषज्ञों के मुताबिक क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह से डिजिटल रूप में है इसलिए नौजवानों को आकर्षित करती है। सोने और प्रापर्टी में निवेश करने के बाद उसकी असलियत को लेकर दुविधा बनी रहती है। ज्वैलर्स नकली सोना भी दे सकता है। क्रिप्टो की असलियत जांचने की जरूरत नहीं है। काफी कम समय में मोटे रिटर्न की उम्मीद होती है। हालांकि विशेषज्ञ इस बात को लेकर भी चिंता जता रहे हैं कि इस साल फरवरी में कुछ क्रिप्टो की कीमत 45,000 रुपये थी जो अभी 25,000 रुपये के स्तर पर है। ऐसे में 45,000 वाले क्रिप्टो को खरीदने वाले को फिलहाल घाटा ही है।


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