पोंजी स्कीम की तरह है बिटकॉइन, न लगाएं पैसा
वर्चुअल करेंसी का पूरा लेखा-जोखा डिजिटल फॉर्मेट में रहता है इसलिए पासवर्ड खोने या वायरस आने पर धन गंवाने का खतरा भी होता है
नई दिल्ली (जेएनएन)। बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी न तो कोई सिक्का है और न ही कोई मुद्रा। यह बिल्कुल पोंजी स्कीम की तरह है। सरकार या भारतीय रिजर्व बैंक ने किसी भी वर्चुअल करेंसी को मान्यता नहीं दी है इसलिए इनमें पैसा न लगाएं। आप जिस वर्चुअल करेंसी में पैसा लगा रहे हैं उसका इस्तेमाल आतंकी फंडिंग, तस्करी और मनी लांडिंग जैसे गैर-कानूनी कामों के लिए हो सकता है।
सरकार ने बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी में निवेश करने वाले लोगों को आगाह किया है। वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को इस संबंध में एक वक्तव्य जारी कर कहा कि वर्चुअल करेंसी वैध नहीं है। देश में सरकार या किसी भी नियामक ने किसी भी एजेंसी को वर्चुअल करेंसी के लिए लाइसेंस नहीं दिया है। जो लोग इसका लेनदेन कर रहे हैं, उन्हें इसके जोखिम के बारे में सजग रहना चाहिए।
वित्त मंत्रालय का यह वक्तव्य ऐसे समय आया है जब रिजर्व बैंक पहले ही तीन बार निवेशकों को वर्चुअल करेंसी के बारे में आगाह कर चुका है। मंत्रालय ने कहा कि हाल के समय में भारत समेत पूरी दुनिया में बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी की कीमत में रिकॉर्ड तेजी आई है। वर्चुअल करेंसी में न तो कोई मूल्य निहित है और न ही इसके लिए किसी भी तरह की भौतिक परिसंपत्ति रखी जाती है। इस तरह बिटकॉइन की कीमतें पूरी तरह से कयासबाजी पर आधारित होती हैं। जिस तरह पोंजी स्कीम में निवेश का जोखिम होता है वैसे ही बिटकॉइन में भी निवेश जोखिमभरा है। इसलिए निवेशकों को पोंजी जैसी योजनाओं में फंसने से सचेत रहना चाहिए।
वर्चुअल करेंसी का पूरा लेखा-जोखा डिजिटल फॉर्मेट में रहता है इसलिए पासवर्ड खोने या वायरस आने पर धन गंवाने का खतरा भी होता है। मंत्रालय ने कहा कि वर्चुअल करेंसी का इस्तेमाल आतंकी फंडिंग, तस्करी, ड्रग ट्रैफिकिंग और मनी लांडिंग के लिए भी किया जा सकता है। ऐसे में इसे लेकर सतर्क रहने की आवश्यकता है। रिजर्व बैंक ने भी दिसंबर 2013, फरवरी 2017 और दिसंबर 2017 में बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी के बारे में निवेशकों को आगाह किया था।
क्या है पोंजी स्कीम: पोंजी स्कीम से आशय ऐसे फर्जी निवेश योजनाओं से है जिसमें संचालक पुराने निवेशकों को रिटर्न नए निवेशकों से प्राप्त धनराशि से देता है। यह ऐसी स्कीम होती है जिसमें वस्तुत: किसी कारोबार या किसी व्यावसायिक गतिविधि में पैसा नहीं लगाया जाता बल्कि कुछ व्यक्तियों से पैसा इकठ्ठा कर एक व्यक्ति को रिटर्न के रूप में दे दिया जाता है। इस तरह यह एक चेन बन जाती है जिसमें बाद में पैसा लगाने वाले ज्यादातर लोगों का पैसा डूब जाता है। इटली का एक व्यवसायी चाल्र्स पोंजी ऐसी ही स्कीम चलाकर लोगों का पैसा हजम करता था। इसी के नाम पर पोंजी स्कीम का नामकरण हुआ।