बचत के गुर सिखा रहा बिल गेट्स फाउंडेशन
जहां दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से नसीब होती हो, वहां बचत की बात करना मजाक लगता है। लेकिन पूर्वी उत्तरप्रदेश व पश्चिमी बिहार की महिलाओं को बिल एंड मिलेंडा गेट्स फाउंडेशन, आइसीआइसीआइ बैंक के साथ मिलकर बचत के गुर सिखा रहा है। इस प्रयास के तहत यह बैंक तीन साल के अंदर उप्र-बिहार के
मुंबई, [ओमप्रकाश तिवारी]। जहां दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से नसीब होती हो, वहां बचत की बात करना मजाक लगता है। लेकिन पूर्वी उत्तरप्रदेश व पश्चिमी बिहार की महिलाओं को बिल एंड मिलेंडा गेट्स फाउंडेशन, आइसीआइसीआइ बैंक के साथ मिलकर बचत के गुर सिखा रहा है। इस प्रयास के तहत यह बैंक तीन साल के अंदर उप्र-बिहार के सात जिलों में महिलाओं के डेढ़ लाख खाते खुलवाने में सफल रहा है।
बिल गेट्स फाउंडेशन आर्थिक रूप से पिछड़े पांच देशों में गेटवे फाइनेंशियल इनोवेशन्स फॉर सेविंग परियोजना के जरिये कमजोर वर्गो को बचत करना सिखा रहा है। भारत में गैफिस इस काम को आइसीआइसीआइ के जरिये आगे बढ़ा रही है। इस प्रयास के तहत बैंक ने 2010 से अब तक अपने 600 केंद्र प्रबंधकों के जरिये करीब डेढ़ लाख ग्रामीण महिलाओं के बचत खाते खुलवाए हैं। इनमें एक लाख दस हजार खाताधारक सक्रिय रूप से अपने खातों का संचालन कर रही हैं, जिनसे बैंक ने अब तक करीब पौने चार करोड़ रुपये जमा करने में सफलता हासिल की है। यह और बात है कि इन ग्रामीण महिलाओं की औसत जमा राशि सिर्फ 240 रुपये प्रति व्यक्ति ही है। लेकिन पैसा जमा करने की आदत का ही परिणाम है कि इन निर्धन महिलाओं की कुल वित्तीय संपत्तियों का नौ फीसद हिस्सा इन खातों में जमा दिखाई देता है। इस बैंकिंग की एक खास बात यह भी है कि वाराणसी के किसी ईट भट्ठे पर कभी ईटें बनाती अथवा जौनपुर के किसी खेत में धान रोपती महिलाओं के ये खाते उनके साधारण मोबाइल फोन से संचालित होते हैं, जिनका उपयोग करने में ये महिलाएं किसी से पीछे नहीं हैं।
आइसीआइसीआइ बैंक के वरिष्ठ महाप्रबंधक संजीव मंत्री बताते हैं कि पूर्वी उत्तरप्रदेश और पश्चिमी बिहार के गांवों में छोटे ऋण देने वाली संस्था कैशपोर के साथ मिलकर इस प्रकार की बैंकिंग शुरू करते समय स्वयं उन्हें भी यह उम्मीद नहीं थी कि तीन साल में ही इन महिलाओं का जमा और ऋण का अनुपात 6:1 तक पहुंच जाएगा। कम आय वाली महिलाओं के बीच बैंकिंग का विस्तार करने के लिए बैंक ने भी विशेष ढांचा तैयार कर लिया है। 'अपना खाता' के नाम से चलने वाले बचत खाते के लिए न्यूनतम जमा राशि की कोई सीमा नहीं रखी गई है। आवर्ती जमा (आरडी) की न्यूनतम सीमा 100 रुपये एवं एकमुश्त जमा (एफडी) की न्यूनतम सीमा 500 रुपये निर्धारित की गई है। संजीव मंत्री के अनुसार बैंक जल्दी ही इन उत्पादों के साथ देश के दूसरे हिस्सों में कदम बढ़ाएगा।