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Microsoft को छोटी सी कोडिंग कंपनी से घर-घर तक पहुंचाने वाले गेट्स ने छोड़ा बोर्ड, अब इस काम पर देंगे ध्यान

Bill Gates ने माइक्रोसॉफ्ट को छोटी कंपनी से दुनिया की दिग्गज आइटी कंपनियों में शुमार करवाया।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sat, 14 Mar 2020 12:21 PM (IST)Updated: Sun, 15 Mar 2020 09:47 AM (IST)
Microsoft को छोटी सी कोडिंग कंपनी से घर-घर तक पहुंचाने वाले गेट्स ने छोड़ा बोर्ड, अब इस काम पर देंगे ध्यान
Microsoft को छोटी सी कोडिंग कंपनी से घर-घर तक पहुंचाने वाले गेट्स ने छोड़ा बोर्ड, अब इस काम पर देंगे ध्यान

नई दिल्ली, ब्लूमबर्ग। Microsoft Corp के सह-संस्थापक बिल गेट्स ने कंपनी के बोर्ड से इस्तीफा देने की घोषणा की है। गेट्स के मुताबिक परोपकार से जुड़े कार्यों के लिए और समय देने के वास्ते उन्होंने बोर्ड छोड़ने का यह निर्णय किया है। उन्होंने 1975 में कंपनी की सह-स्थापना की थी और माइक्रोसॉफ्ट को दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर डेवलपिंग कंपनी बनाया। गेट्स अभी 64 साल के हैं और पिछले एक दशक से भी अधिक समय से वह माइक्रोसॉफ्ट में अपनी जिम्मेदारियों को कम करने के काम में लगे हुए हैं। वह अभी प्रोडक्टिविटी, हेल्थ सॉफ्टवेयर और आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस जैसे क्षेत्रों में कंपनी के वर्तमान सीईओ सत्या नडेला के परामर्शदाता के तौर पर काम कर रहे हैं और वह ऐसा करना जारी रखेंगे।

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गेट्स ने शुक्रवार को एक ब्लॉग पोस्ट कर लिखा, ''माइक्रोसॉफ्ट मेरे जीवन का एक अहम हिस्सा बना रहेगा। कंपनी के लिए विजन तय करने और महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मैं सत्या और टेक्निकल लीडरशिप के साथ काम करना जारी रखूंगा।''  

माइक्रोसॉफ्ट की ओर से जारी एक स्टेटमेंट में कहा गया है कि गेट्स 2008 से कंपनी की हर दिन की गतिविधियों में सक्रिय नहीं हैं। गेट्स ने उस समय बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन को अधिक समय देने का निर्णय किया था। स्टेटमेंट में कहा गया है कि अब वह ग्लोबल हेल्थ, एजुकेशन और जलवायु से जुड़े क्षेत्रों में और समय देना चाहते हैं।  

गेट्स के नेतृत्व में माइक्रोसॉफ्ट पर्सनल कंप्यूटर के शुरुआती दिनों में बिजनेस और होम मशीन के लिए बेसिक सॉफ्टवेयर की सुविधा प्रदान करने वाली कंपनी से दुनिया की प्रमुख सॉफ्टवेयर कंपनी बनी। वह लगातार कई साल से दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में पहले दस स्थानों में शामिल रहे हैं। हालांकि, इसके साथ ही गेट्स का नाम परोपकार के लिए भी लिया जाता रहा है। 


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