UPA सरकार के कार्यकाल में आर्थिक अस्थिरता सबसे ज्यादा रही: भल्ला
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में वर्ष 2006-07 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 10.08 फीसद रही थी
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य सुरजीत भल्ला ने कहा है कि देश के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) के नए आंकड़ों से यह वास्तविकता नहीं बदलती है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में आर्थिक अस्थिरता सबसे ज्यादा रही है।
राष्ट्रीय सांख्यकीय आयोग द्वारा गठित कमेटी के बैक सीरीज पर तैयार आंकड़ों के अनुसार तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में वर्ष 2006-07 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 10.08 फीसद रही थी। 1991 के बाद की यह विकास दर सबसे ज्यादा रही।
भल्ला ने ट्वीट करके कहा कि ये चर्चाएं हो रही है कि यूपीए के कार्यकाल में बेहतर विकास दर थी इसलिए नीतिगत अपंगता नहीं थी। लेकिन जीडीपी के नए आंकड़े इस वास्तविकता को झुठला नहीं सकते हैं कि उस समय सबसे ज्यादा आर्थिक अस्थिरता रही। उस समय महंगाई उच्चतम स्तर पर थी और केंद्र व राज्यों का राजकोषीय घाटा भी सबसे ज्यादा था। उस समय भ्रष्टाचार और नीतिगत अपंगता भी सबसे ज्यादा थी।
सांख्यकीय एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर यह रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में पुरानी सीरीज (2004-05) और नई सीरीज (2011-12) के मूल्यों पर आर्थिक विकास दरों की तुलना की गई है। पिछली सीरीज के अनुसार वर्ष 2006-07 के दौरान स्थिर मूल्यों पर जीडीपी की विकास दर 9.57 फीसद थी जबकि नई सीरीज में विकास दर 10.08 फीसद हो गई। 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहा राव द्वारा आर्थिक उदारीकरण कार्यक्रम शुरू किए जाने के बाद की यह सबसे तेज विकास दर रही।
कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को ट्वीट करके कहा था कि जीडीपी बैक सीरीज के आंकड़े आ गए हैं। इससे साबित होता है कि यूपीए की दोनों सरकारों के दस साल के कार्यकाल में देश की औसत विकास दर 8.1 फीसद रही जो मोदी सरकार की चार साल की औसत 7.3 फीसद विकास दर से ज्यादा रही। मंत्रालय की रिपोर्ट में बाद के वर्षो के विकास दर आंकड़ों में भी संशोधन किया गया है।
कर्ज पोषित तेज विकास दर में आई थी सुस्ती: नीति आयोग
नीति आयोग ने कहा है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में अस्थिर राजकोषीय घाटे और बैंकों के कर्जो में अंधाधुंध वृद्धि के कारण तेज विकास दर रही। लेकिन इन्हीं कारणों से बाद के वर्षो में विकास दर सुस्त पड़ गई। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि इसी तरह राजीव गांधी सरकार के कार्यकाल में दस फीसद से ज्यादा की विकास दर कर्ज पोषित थी। इसके बाद 1990-92 के दौरान आर्थिक विकास दर घट गई। इस आर्थिक संकट के कारण ही सरकार को कर्ज के पुनर्भगतान के लिए अपने भंडार से सोना विदेश में गिरवी रखना पड़ा।