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बैंकों का पूंजीकरण बढ़ाने की जरूरत, सरकारी बैंकों को अतिरिक्त 1.50 लाख करोड़ रुपये की दरकार: RBI

चालू वित्त वर्ष के दौरान बैंकों में 20000 करोड़ रुपये देने का प्रावधान है। पिछले वित्त वर्ष में सरकारी बैकों को 70000 करोड़ रुपये दिए गए थे। वर्ष 2008-09 से अभी तक सरकारी बैकों को खजाने से 3.35 लाख करोड़ रुपये दिए गए हैं।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sat, 09 Jan 2021 08:49 AM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 07:59 AM (IST)
बैंकों का पूंजीकरण बढ़ाने की जरूरत, सरकारी बैंकों को अतिरिक्त 1.50 लाख करोड़ रुपये की दरकार: RBI
भारतीय रिज़र्व बैंक P C : Reuters

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) लगातार सरकार को यह संकेत देने की कोशिश कर रहा है कि सरकारी क्षेत्रों के बैंकों को पर्याप्त पूंजी मुहैया कराने की जरूरत है। कुछ दिन पहले भारतीय बैंकिंग क्षेत्र की दशा व दिशा पर जारी रिपोर्ट में केंद्रीय बैंक ने कहा था कि सरकारी बैंकों को अतिरिक्त 1.50 लाख करोड़ रुपये की जरूरत हो सकती है।

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केंद्रीय बैंक ने हालिया रिपोर्ट में दलील दी है कि बैंकों की तरफ से पर्याप्त व सस्ती दरों पर कर्ज वितरित किए जाएं, इसके लिए जरूरी है कि उनका पर्याप्त पूंजीकरण भी किया जाए। पर्याप्त पूंजी होने के बाद ही बैंक ज्यादा कर्ज दे सकेंगे और तरलता (पूंजी की उपलब्धता) होने पर ही वे कर्ज की दरों को भी नरम रख सकेंगे।

चालू वित्त वर्ष के दौरान बैंकों में 20,000 करोड़ रुपये देने का प्रावधान है। पिछले वित्त वर्ष में सरकारी बैकों को 70,000 करोड़ रुपये दिए गए थे। वर्ष 2008-09 से अभी तक सरकारी बैकों को खजाने से 3.35 लाख करोड़ रुपये दिए गए हैं।

आरबीआइ की रिपोर्ट में कहा गया है कि रेपो रेट घटाने या बढ़ाने का ब्याज दरों पर उतना असर नहीं पड़ता जितना कि सरकारी बांड पर ब्याज दरों में होने वाले उतार-चढ़ाव से होता है। इसलिए नीतियों का ध्यान इस पर ज्यादा होना चाहिए।

रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ समय के दौरान कंपनियों ने कारोबार विस्तार के लिए नहीं, बल्कि देनदारियां चुकाने के लिए कर्ज लिया है। वर्ष 2014 के बाद रेपो रेट में आरबीआइ की तरफ से 400 आधार अंकों की कटौती की गई है, लेकिन देश में कर्ज वितरण की रफ्तार बहुत उत्साहजनक नहीं रही है। चालू वित्त वर्ष के दौरान बैंकिंग लोन में महज 6.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 

ब्याज दरों का रुख बदलने के संकेत

आरबीआइ ने जिस तरह से पिछले कुछ समय से ब्याज दरों को स्थिर रखा है, उससे आने वाले दिनों में दरों में बढ़ोतरी के संकेत मिलते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इकोनॉमी की मौजूदा स्थिति को देखते हुए आरबीआइ फिलहाल ब्याज दरों को नहीं बढ़ने देगा। मगर महंगाई की दर अधिक दिनों तक उसके निर्धारित स्तर (चार प्रतिशत) से ऊपर रहने की स्थिति में ऐसा किया जा सकता है।

आरबीआइ ने कहा है कि रिवर्स रेपो नीलामी के तहत 15 जनवरी को दो लाख करोड़ रुपये की राशि सिस्टम से वापस ली जाएगी। इससे बैंकों को अपने तरलता (फंड) प्रबंधन में मदद मिलेगी। कोविड की वजह से आरबीआइ ने बैंकों के पास अतिरिक्त फंड उपलब्ध कराने के बहुत उपाय किए हैं। लेकिन अभी बैंकों की तरफ से कर्ज वितरण की रफ्तार बहुत उत्साहजनक नहीं है। ऐसे में बैंको के पास अतिरिक्त राशि (तरलता) है जिसे वे कुछ समय के लिए आरबीआइ में अब रख सकेंगे।


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