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कर्मचारियों की हड़ताल से महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और गुजरात में प्रभावित रहा बैंकों का कामकाज

कर्मचारियों की ओर से आज की गई हड़ताल इंडियन बैंकिंग एसोसिएशन की ओर से प्रस्तावित 2 फीसद की वेतन बढ़ोतरी के खिलाफ थी

By Praveen DwivediEdited By: Published: Thu, 31 May 2018 03:11 PM (IST)Updated: Thu, 31 May 2018 03:30 PM (IST)
कर्मचारियों की हड़ताल से महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और गुजरात में प्रभावित रहा बैंकों का कामकाज
कर्मचारियों की हड़ताल से महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और गुजरात में प्रभावित रहा बैंकों का कामकाज

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। महाराष्ट्र, गुजरात और मध्यप्रदेश में आज कर्मचारियों की हड़ताल के कारण बैंकिंग से जुड़े कामकाज प्रभावित हुए हैं। इस हड़ताल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र से कुछ पुराने बैंक, विदेशी एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के कर्मचारी शामिल रहे। बैंक कर्मचारियों की यह दो दिवसीय हड़ताल इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) की ओर प्रस्तावित मामूली वेतन बढ़ोत्तरी के खिलाफ है।

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अधिकांश बैंकों की करीब 12,000 शाखाएं आज बंद रहीं और करीब 60,000 कर्मचारियों ने पहले दिन की हड़ताल में हिस्सा लिया। गुजरात और मध्य प्रदेश में तो बैंकिंग सेवाएं ठप ही हो गईं, जहां क्रमश: 55,000 और 18,000 कर्मचारियों ने इस हड़ताल में हिस्सा लिया। अकेले मुंबई में अलग अलग बैंकों की 4,000 से ज्यादा शाखाओं के करीब 20,000 कर्मचारियों और अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इन कर्मचारियों ने साउथ मुंबई के पीएम रोड़ से आजाद मैदान तक एक मार्च भी निकाली।

कर्मचारी क्यों कर रहे हैं हड़ताल?

कर्मचारियों की ओर से आज की गई हड़ताल इंडियन बैंकिंग एसोसिएशन की ओर से प्रस्तावित 2 फीसद की वेतन बढ़ोतरी के खिलाफ थी। एसोसिएशन ने यह भी कहा कि अधिकारियों की मांग पर बातचीत केवल स्केल 3 स्तर के अधिकारियों तक ही सीमित होगी।

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) के महाराष्ट्र के कन्वेनर देवीदास तुलजापुरकर ने कहा कि बैंक प्रबंधन ने बीती कुछ तिमाहियों में हुए नुकसान के साथ 2 फीसद की वेतन बढ़ोतरी को जायज ठहराया है। तुलजापुरकर ने आरोप लगाया, “बड़े डिफॉल्टिंग कार्पोरेट जिन्हें बैंकों ने लोन दिया है इन कर्जदाताओं के नुकसान के लिए जिम्मेदार है। लेकिन अपनी तरफ से किसी गलती के न होने के पहलू के बीच बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों को उनके लाभ से वंचित किया जा रहा है।” उन्होंने कहा कि बीते दो से तीन सालों के दौरान कर्मचारियों ने सरकार की ओर से लागू की गई पहलों के बाद जैसे जनधन, नोटबंदी, मुद्रा योजना, अटल पेंशन योजना एवं अन्य के दौरान कड़ी मेहनत से काम किया है।


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