Move to Jagran APP

Auto LPG उद्योग ने की GST दरों को कम करने की मांग

LPG भी CNG की तरह ही स्वच्छ ईंधन की श्रेणी में आती है। यह डीजल और पेट्रोल की अपेक्षा सस्ता भी पड़ती है। सुयश ने कहा कि वाहनों में LPG का प्रयोग 70 देशों में होता है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Tue, 27 Aug 2019 05:29 PM (IST)Updated: Wed, 28 Aug 2019 08:51 AM (IST)
Auto LPG उद्योग ने की GST दरों को कम करने की मांग
Auto LPG उद्योग ने की GST दरों को कम करने की मांग

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। ऑटो एलपीजी उद्योग ने जीएसटी दर घटाने की मांग की है। इंडियन ऑटो एलपीजी कोलिशन (IAC) के महानिदेशक सुयश गुप्ता का कहना है कि ने कहा कि सरकार को आटो एलपीजी को भी CNG जैसे स्वच्छ ईंधन के बराबर मानना चाहिए। साथ ही उन्होंने ऑटो एलपीजी को वित्तीय प्रोत्साहन देने की भी बात कही। न्यूज एजेंसी पीटीआइ के अनुसार, सुयश गुप्ता ने कहा है कि दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में प्रदूषण की रोकथाम के लिए इस तरह के ईंधन को प्रोत्साहन देने की बड़ी आवश्यकता है।

loksabha election banner

गौरतलब है कि LPG भी CNG की तरह ही स्वच्छ ईंधन की श्रेणी में आती है। यह डीजल और पेट्रोल की अपेक्षा सस्ता भी पड़ती है। सुयश ने कहा कि वाहनों में LPG का प्रयोग 70 देशों में होता है। वहीं, भारत, पाकिस्तान और ईरान सहित 4-5 देशों में CNG का प्रयोग होता है।

गुप्ता ने कहा कि वाहनों में प्रयोग होने वाले एलपीजी का सिलेंडर  CNG से वजन में हल्का होता है और इस सिलेंडर को भरने में भी पेट्रोल-डीजल जितना ही टाइम लगता है। गुप्ता ने कहा, ‘‘हमने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और GST परिषद के मेंबर्स को पत्र लिखकर आटो LPG पर GST की दर को 18 से घटाकर 5 फीसद करने का आग्रह किया है।’’

गुप्ता ने कहा कि घरेलू प्रयोग में आने वाले LPG पर 5 फीसद का टैक्स लगता है, लेकिन वाहनों में इसके इस्तेमाल पर  GST की दर 18 फीसद है। IAC ने आटो एलपीजी किट पर भी GST की दर को 28 से घटाकर 5 फीसद करने की मांग की है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.