ट्रेड वार से निपटने के लिए भारत के पास पुख्ता इंतजाम नहीं: एसोचैम
भारत अभी निर्यात से ज्यादा आयात कर रहा है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। सरकार भले ही ट्रेड वार की संभावनाएं खारिज करती आई हो, लेकिन उद्योग जगत का मानना है कि ऐसी किसी सूरत में भारत जवाबी हमले की हालत में ही नहीं है। उद्योग जगत की अग्रणी संस्था एसोसिएटेड चैंबर ऑफ कॉमर्स (एसोचैम) ने रविवार को एक बयान में कहा कि भारत अभी निर्यात से ज्यादा आयात कर रहा है। आयातित सामानों की सूची में बहुत से नितांत जरूरी उत्पाद भी हैं।
देश के लिए ट्रेड वार की स्थिति में जवाबी कार्रवाई के लिए बहुत गुंजाइश नहीं बचती है। इसलिए किसी भी संभावित ट्रेड वार की सूरत में देश को निर्यात बढ़ाने और अपने कारोबारी सहयोगियों के साथ ज्यादा से ज्यादा घुलने -मिलने पर फोकस करना चाहिए।
एसोचैम ने कहा, ‘दुनिया के किसी भी एक हिस्से के साथ कारोबारी रूप से बहुत जुड़ जाने के बदले अपने बड़े कारोबारी सहयोगियों के साथ बातचीत और मेल-मिलाप का रास्ता अपनाना चाहिए। हमें द्विपक्षीय रिश्तों पर जोर देना चाहिए और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के रूप में मौजूद रास्ते का भी उसके नियमों के तहत पूरा उपयोग करना चाहिए।’
एसोचैम के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के अंत में भारत का आयात 450 अरब डॉलर (65 रुपये प्रति डॉलर के हिसाब से 29.25 लाख करोड़ रुपये) पर पहुंच जाएगा, जबकि निर्यात का आंकड़ा 300 अरब डॉलर (19.50 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच पाएगा। आयात आंकड़े में लगभग एक- चौथाई हिस्सा अकेले कच्चे तेल और अन्य संबंधित उत्पादों का होगा। इसके अलावा प्लास्टिक और खाद जैसे जरूरी सामान हैं, जिनके लिए देश में तत्काल आपूर्ति का कोई साधन नहीं है। एसोचैम के मुताबिक भारत के व्यापार घाटे में अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) की हिस्सेदारी 150 अरब डॉलर की है। ऐसे में संभावित ट्रेड वार की हालत में भारत को जवाब देने के अलावा अन्य विकल्प खुले रखने पड़ेंगे।
वैश्विक कारोबारी मसलों पर मंथन करेंगे 50 देश
सरकार ने कहा है कि सोमवार से शुरू हो रही दो दिनों की अनौपचारिक डब्ल्यूटीओ मंत्रियों की बैठक में 50 देशों के मंत्री और अधिकारीगण वैश्विक कारोबारी मसलों पर खुलकर चर्चा करेंगे। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस दो दिनी चर्चा में सभी देश विश्व व्यापार संगठन की मौजूदा चुनौतियों के समाधान पर राय रखेंगे। मंत्रालय ने कहा कि बैठक का मकसद विभिन्न देशों की सरकारों को डब्ल्यूटीओ के समक्ष मौजूद बड़े मसलों पर उचित सलाह मुहैया कराना है। इनमें बहुपक्षीय मसलों के साथ अन्य क्षेत्रों के मुद्दे शामिल होंगे। गौरतलब है कि वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया ने हाल ही में कहा था कि पिछले वर्ष दिसंबर में ब्यूनस आयर्स (अर्जेटीना) में यह वार्ता विफल हो जाने के बाद नई दिल्ली में आयोजन से कई देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलेगी। कहा गया है कि बहुपक्षीय कारोबार को मजबूती देना जितना प्रमुख मुद्दा पहले नहीं रहा, क्योंकि डब्ल्यूटीओ खुद बदलावों से गुजर रहा है।