खुदरा महंगाई का इतना निचला स्तर वर्ष 1999 में देखा गया: अरविंद सुब्रमणियम
अरविंद सुब्रमणियम ने कहा है कि खुदरा महंगाई में इतनी नीची दर इससे पहले 1999 में और उससे पहले 1978 में देखी गई थी
नई दिल्ली (जेएनएन)। देश में खुदरा महंगाई की दर ऐतिहासिक निम्नतम स्तर पर पहुंच गई है। जून 2017 में यह 1.54 फीसद रही। इससे पहले खुदरा महंगाई की दर इतना नीचे में आई थी। सब्जियों, दालों और दुग्ध उत्पादों की कीमतों में कमी की वजह से खुदरा महंगाई की दर इतना नीचे आई है। उधर, चालू वित्त वर्ष के दूसरे महीने में ही कारखानों की रफ्तार सुस्त हो गई। मई 2017 में औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि की रफ्तार 1.7 फीसद पर सिमट गई। ऐसा मैन्यूफैक्चरिंग और खनन क्षेत्र के उत्पादन में गिरावट आने से हुआ है। खुदरा महंगाई और औद्योगिक उत्पादन की निचली दरों ने रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों में संशोधन का दबाव बना दिया है। केंद्रीय बैंक अगले महीने ही अपनी कर्ज नीति की समीक्षा करेगा।
खुदरा महंगाई की दर में ऐतिहासिक गिरावट आने पर टिप्पणी करते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम ने कहा कि यह अर्थव्यवस्था में चल रही कंसोलिडेशन की प्रक्रिया की स्थिरता और मजबूती को दिखाता है। उन्होंने कहा कि खुदरा महंगाई में इतनी नीची दर इससे पहले 1999 में और उससे पहले 1978 में देखी गई थी। इस साल मई में खुदरा महंगाई की दर 2.18 फीसद पर थी।
खुदरा महंगाई की दर को नीचे लाने में खाद्य उत्पादों की कीमतों में कमी की अहम भूमिका रही है। इस महीने खाद्य उत्पादों की महंगाई दर तेजी से गिरते हुए शून्य से 1.05 फीसद नीचे आ गई। इस अवधि में सब्जियों की कीमतों में 16.53 फीसद और दालों व अन्य उत्पादों की कीमतों में 21.92 फीसद की कमी आई। अंडों की कीमतों में भी मई में मामूली कमी आई।
उत्पादन लगभग ठप
दूसरी तरफ कारखानों की रफ्तार नए साल में सुस्त बनी हुई है। मई में कारखानों का उत्पादन लगभग ठप रहा और इसमें मात्र 1.7 फीसद की ही वृद्धि हुई। खासतौर पर खनन और मैन्यूफैक्चरिंग उद्योग में उत्पादन काफी धीमा रहा। माना जा रहा है कि पहली जुलाई से जीएसटी लागू होने का ही यह असर हो सकता है। कंपनियों ने कुछ महीने पहले ही अपने डीलरों को उत्पादों की आपूर्ति धीमी कर दी थी ताकि 30 जून तक पुराना माल खत्म किया जा सके। मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में कैपिटल गुड्स क्षेत्र का उत्पादन भी 3.9 कम रहा। जबकि बीते साल मई में इस क्षेत्र का उत्पादन 13.9 फीसद बढ़ा था। कैपिटल गुड्स क्षेत्र को निवेश के संकेतक के तौर पर देखा जाता है। कंज्यूमर ड्यूरेबल क्षेत्र के उत्पादन में भी मई में कमी दर्ज की गई। इस तरह कुल मिलाकर मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की वृद्धि दर बीते साल की मई के 8.6 फीसद के मुकाबले इस वर्ष 1.2 फीसद पर आ गई।