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वित्त मंत्री ने बताया इन तीन चीजों के बल पर बढ़ेगी भारत की इकोनॉमी, जानिए

यह खबर वित्त मंत्री अरुण जेटली के हाल में दिये गए एक साक्षात्कार पर आधारित है। साक्षात्कार के अंश इस खबर में इस्तेमाल किये गए हैं।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Mon, 05 Jun 2017 03:04 PM (IST)Updated: Mon, 05 Jun 2017 03:37 PM (IST)
वित्त मंत्री ने बताया इन तीन चीजों के बल पर बढ़ेगी भारत की इकोनॉमी, जानिए
वित्त मंत्री ने बताया इन तीन चीजों के बल पर बढ़ेगी भारत की इकोनॉमी, जानिए

नई दिल्ली (जेएनएन)। पब्लिक इन्वेस्टमेंट, एफडीआई और कंजम्शन (उपभोग) ये ऐसे तीन प्रमुख कारक है जो देश की ग्रोथ को बढ़ाने में मददगार होंगे। यह बात केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक साक्षात्कार के दौरान कही है।

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केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा है, “आप दो शक्तिशाली इंजन की मदद से देश के आर्थिक विकास को आगे बढ़ा रहे हैं। आपकी ग्रोथ के इंजन को पब्लिक इन्वेस्टमेंट और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) चला रहे हैं। हमें लगातार दो सालों के सर्वाधिक एफडीआई प्राप्त हो रहा है। मैं बुनियादी ढांचे को देख रहा हूं, मैं ग्रामीण इलाकों में निवेश को बहुत महत्वपूर्ण मानता हूं और तीसरे महत्वपूर्ण इंजन के रूप में खपत के जगह लेने की संभावना तेज है। खपत शुरू होने के बाद, हम देखेंगे कि निजी क्षेत्र में आदर्श क्षमता का उपयोग हो सके। यही कारण है कि हम एक साथ एनपीए मुद्दे को हल करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि बैंक चिंतित हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि ऐसा करने से विकास प्रक्रिया को समर्थन देने के लिए बैंकों की क्षमता भी बढ़ जाती है।”

जीएसटी पर राजनीतिक सहमति के मुद्दे पर अरुण जेटली ने ET Now न्यूजचैनल को दिये गए साक्षात्कार में कहा कि भारतीय राजनीति में बहुत बड़ी राजनीतिक परिपक्वता है और आपके सामने कुछ अपवाद हो सकते हैं लेकिन सामान्य तौर पर ये एक पैटर्न है। सुधारों पर बहस हो रही है, लोगों को संदेह है लेकिन जब इस पर बड़ी डिबेट और सहमति बनी, तब उन्हें सर्वसम्मति से अनुमोदित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि  जीएसटी एक ऐसा मामला है जहां हम एक वोट के कारण किसी अड़चन में नहीं पड़ना चाहते हैं और हम सर्वसम्मति से लगभग हर निर्णय पर पहुंचने में सक्षम हैं। अब आपको आम सहमति की आवश्यकता है क्योंकि आप एक फेडरल फाइनेंस के साथ काम कर रहे हैं। इसलिए अगर आप ऐसे में कहेंगे कि आप एक या दो राज्यों के हितों को पूरी तरह से इग्नोर करने जा रहे हैं तो यह गलत होगा। इसलिए आपको आम सहमति की जरूरत होगी।


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