केंद्रीय करों से राज्यों को मिलेंगे 7.88 लाख करोड़, वित्त मंत्री ने केंद्र से मिलने वाली राशि का विस्तृत ब्योरा
केंद्रीय करों में किस राज्य को कितनी राशि मिलेगी, इसका ब्योरा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को आम बजट 2018-19 में दिया
नई दिल्ली (हरिकिशन शर्मा)। अर्थव्यवस्था की स्थिति सुधरने से राज्यों के खजाने की स्थिति भी बेहतर होगी। अगले वित्त वर्ष में केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में राज्यों को 7.88 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे। इनमें से अकेले उत्तर प्रदेश के हिस्से में 1.41 लाख करोड़ रुपये आएंगे। आम बजट 2018-19 में इसका प्रावधान किया गया है। बिहार को अगले वित्त वर्ष में केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में 76,112 करोड़ रुपये मिलेंगे।
केंद्रीय करों में किस राज्य को कितनी राशि मिलेगी, इसका ब्योरा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को आम बजट 2018-19 में दिया। केंद्र की ओर से लगाए जाने वाले आयकर, कॉरपोरेट टैक्स, वैल्थ टैक्स, सीजीएसटी, आइजीएसटी, आयात शुल्क, केंद्रीय उत्पाद शुल्क और अन्य करों में राज्यों की हिस्सेदारी होती है। जीएसटी लागू होने के बाद अब केंद्रीय उत्पाद शुल्क सिर्फ पेट्रोलियम उत्पादों पर लगता है। इसके जरिये भी जितनी धनराशि का संग्रह होगा, उसमें से राज्यों को उनके अनुपात के हिसाब से बांट दी जाएगी।
खास बात यह है कि राज्यों को सीजीएसटी में हिस्सेदारी से 2.53 लाख करोड़ रुपये तथा आइजीएसटी के रूप में 21,000 करोड़ रुपये मिलेंगे। सभी करों को मिलाकर राज्यों की झोली में 7.88 लाख करोड़ रुपये आएंगे। केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में उत्तराखंड को 8,291 करोड़ रुपये और हरियाणा को 8,543 करोड़ रुपये। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर होती है, जिसका गठन संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत किया जाता है। फिलहाल 14वें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू हैं। इनके तहत केंद्रीय करों में से 42 फीसद राशि राज्यों के हिस्से में जाती है।
पहले यह आंकड़ा 32 फीसद था, जिसे बढ़ाकर 42 फीसद करने की सिफारिश 14वें वित्त आयोग ने की थी। फिलहाल सरकार ने पंद्रहवें वित्त आयोग का गठन भी कर दिया है, जिसकी सिफारिशें अप्रैल, 2020 से लागू होंगी। वैसे राज्यों को केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के अलावा एक बड़ी धनराशि केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत किए गए आवंटन के रूप में भी मिलेगी। आम बजट 2018-19 के प्रावधानों के अनुसार केंद्र प्रायोजित योजनाओं में से राज्यों को तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक धनराशि मिलने का अनुमान है।