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आर्सेलरमित्तल ने भी छोड़ी बड़ी परियोजना

एक तरफ सरकार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) बढ़ाने के ताबड़तोड़ फैसले कर रही है, वहीं दूसरी ओर बड़ी विदेशी कंपनियां मंजूरी मिलने में देरी सहित अन्य दिक्कतों की वजह से अपनी परियोजनाएं रद कर रही हैं। कोरियाई स्टील कंपनी पोस्को की घोषणा के एक ही दिन बाद अब दुनिया की सबसे बड़ी स्टील कंपनी आस

By Edited By: Published: Thu, 18 Jul 2013 04:51 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
आर्सेलरमित्तल ने भी छोड़ी बड़ी परियोजना

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। एक तरफ सरकार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) बढ़ाने के ताबड़तोड़ फैसले कर रही है, वहीं दूसरी ओर बड़ी विदेशी कंपनियां मंजूरी मिलने में देरी सहित अन्य दिक्कतों की वजह से अपनी परियोजनाएं रद कर रही हैं। कोरियाई स्टील कंपनी पोस्को की घोषणा के एक ही दिन बाद अब दुनिया की सबसे बड़ी स्टील कंपनी आर्सेलरमित्तल ने ओडिशा स्थित अपनी परियोजना रद करने का एलान किया है। इस परियोजना पर 50 हजार करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित था। पोस्को ने मंगलवार को ही कर्नाटक स्थित 30 हजार करोड़ रुपये की परियोजना छोड़ने का फैसला किया था। यानी दो ही दिन में 80 हजार करोड़ रुपये के विदेशी निवेश से भारत को हाथ धोना पड़ा है।

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जिस दिन पोस्को ने कर्नाटक परियोजना रद करने का एलान किया, उसी दिन सरकार ने ताबड़तोड़ फैसले करते हुए दर्जन भर क्षेत्रों में एफडीआइ की सीमा या तो बढ़ा दी या फिर इसके नियमों में तब्दीली कर दी। इन दोनों कंपनियों के फैसले से सरकार की एफडीआइ नीति की मंशा पर फिर से सवाल खड़े हो गए हैं। हाल ही में इंडिया इंक के दिग्गज दीपक पारेख ने भी सरकार के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि, 'हम विदेशी मेहमानों को घर बुला तो रहे हैं मगर उनके लिए दरवाजा नहीं खोल रहे हैं।'

अनिवासी अरबपति भारतीय और स्टील किंग लक्ष्मी निवास मित्तल की कंपनी ने ओडिशा परियोजना रद करने की वजह जमीन अधिग्रहण में मुश्किल और आयरन ओर खदान मिलने में देरी को बताया है। पोस्को ने भी इन्हीं वजहों का हवाला दिया था। आर्सेलरमित्तल की ओर से बुधवार को जारी बयान में कहा गया है कि कंपनी के अधिकारियों ने ओडिशा के मुख्य सचिव से मुलाकात कर उन्हें क्योंझर जिले में लगने वाले इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट और कैप्टिव पावर प्लांट का विकास न करने की जानकारी दे दी है। 1.2 करोड़ टन क्षमता वाले इस स्टील प्लांट के लिए कंपनी ने वर्ष 2006 में राज्य सरकार से एमओयू किया था।

आर्सेलरमित्तल के एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसीडेंट और भारत व चीन के सीईओ विजय भटनागर ने बताया कि पिछले सात साल से कंपनी इस परियोजना पर काम कर रही थी। मगर जमीन न मिलने और कैप्टिव आयरन ओर ब्लॉक के अभाव में अब यह परियोजना व्यावहारिक नहीं रह गई है। हालांकि, कंपनी झारखंड और कर्नाटक की परियोजना जारी रखेगी। वैसे, यहां भी दिक्कतों से कंपनी को दो-चार होना पड़ रहा है। झारखंड में आर्सेलर ने 50 हजार करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव रखा है। यहां 1.2 करोड़ टन क्षमता का प्लांट लगाने की योजना है। वहीं, कर्नाटक में 30 हजार करोड़ रुपये के निवेश से 60 लाख टन क्षमता वाला स्टील प्लांट लगाया जाना है। यहां जमीन अधिग्रहण का काम लगभग पूरा हो चुका है। मगर आयरन ओर खदान अभी तक नहीं मिल पाया है।


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