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2025 तक 120-160 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा सालाना FDI, निवेशकों की टॉप तीन पसंदीदा जगहों में भारत शुमार

सरकार की तरफ से किए गए आर्थिक सुधार और आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम का असर विदेशी निवेशकों पर दिखने लगा है। वैश्विक निवेशक भारत को निवेश के लिए उम्दा जगह मान रहे हैं। 34 फीसद विदेशी निवेशक भारत को निवेश के लिए टॉप 3 स्थानों में से एक मानते हैं।

By Ankit KumarEdited By: Published: Mon, 07 Dec 2020 12:40 PM (IST)Updated: Tue, 08 Dec 2020 07:47 AM (IST)
2025 तक 120-160 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा सालाना FDI, निवेशकों की टॉप तीन पसंदीदा जगहों में भारत शुमार
वर्ष 2019 में एफडीआइ का प्रवाह भारत में 50 अरब का था जो भारतीय जीडीपी का लगभग 1.8 फीसद है।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सरकार की तरफ से किए गए आर्थिक सुधार और आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम का असर विदेशी निवेशकों पर दिखने लगा है। वैश्विक निवेशक भारत को निवेश के लिए उम्दा जगह मान रहे हैं। 34 फीसद विदेशी निवेशक भारत को निवेश के लिए टॉप 3 स्थानों में से एक मानते हैं। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) के मामले में विश्व स्तर पर भारत को लेकर जो माहौल बन रहा है, उसके मुताबिक वर्ष 2025 तक भारत में सालाना एफडीआइ का स्तर 120-160 अरब डॉलर तक हो जाएगा, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3-4 फीसद है। यह खुलासा औद्योगिक संगठन सीआइआइ और ईवाई की एफडीआइ पर जारी सर्वे रिपोर्ट में किया गया है।

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वर्ष 2019 में एफडीआइ का प्रवाह भारत में 50 अरब का था जो भारतीय जीडीपी का लगभग 1.8 फीसद है। हालांकि चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में कोरोना काल के बावजूद भारत में 30.1 अरब डॉलर का रिकार्ड एफडीआइ रहा।

रिपोर्ट के मुताबिक 82 फीसद वैश्विक निवेशकों ने अगले दो-तीन सालों में निवेश करने की बात स्वीकारी। सर्वे में इस बात का भी खुलासा हुआ कि वियतनाम, इंडोनेशिया, थाईलैंड, मलेशिया, बांग्लादेश जैसे देश भी एफडीआइ को आकर्षित करने के लिए काफी प्रयासरत हैं और ऐसे में भारत के लिए एफडीआइ लेने में आगे निकलना आसान नहीं होगा।

लेकिन विदेशी निवेशकों की नजर में भारत की तीन प्रमुख चीजें भारत में एफडीआइ के प्रवाह में भारी बढ़ोतरी कर सकती है। इनमें भारत का बड़ा बाजार, भारत के कुशल कारीगर और भारत में राजनीतिक स्थिरता शामिल हैं। 23 फीसद विदेशी निवेशक भारत के बड़े बाजार को भारत में निवेश का प्रमुख कारण मानते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था वर्ष 2019 में 2.9 ट्रिलियन डॉलर की थी जबकि वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड व बांग्लादेश जैसे देशों को मिला दिया जाए तब भी इनकी अर्थव्यवस्था 2.6 ट्रिलियन डॉलर की थी, जो भारतीय अर्थव्यवस्था से 10 फीसद कम है।

भारत के पास फिलहाल 51 करोड़ श्रमिक हैं जबकि इन पांच देशों में कुल 32 करोड़ श्रमिक हैं, जो भारतीय श्रमिकों की संख्या से लगभग 36 फीसद कम है। रिपोर्ट के मुताबिक 31 फीसद विदेशी निवेशक 2025 तक तेजी से बढ़ने वाली तीन अर्थव्यवस्थाओं में भारतीय अर्थव्यवस्था को भी शामिल बता रहे हैं। 17 फीसद निवेशकों का मत है कि 2025 तक भारत मैन्यूफैक्चरिंग के मामले में दुनिया के प्रमुख तीन जगहों में से एक हो जाएगा। बैंक ऑफ अमेरिका की प्रेसिडेंट एंड इंडिया कंट्री हेड काकू नख्ते का कहना है कि 2028 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उनका कहना है कि भारत डॉलर टर्म में जापान को पीछे छोड़ देगा।


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