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चुनावी अनिश्चितता के बीच शेयर बाजार पर बुलिश हैं ब्रोकरेज कंपनियां, बुल रन का जताया अनुमान

ब्रोकरेज एजेंसियों का मानना है कि मजबूत फंडामेंटल्स और पिछली सरकार के दौरान किए गए सुधारों का लाभ भारतीय बाजार पर दांव लगाने वाले निवेशकों को मिलेगा।

By Abhishek ParasharEdited By: Published: Mon, 11 Mar 2019 11:46 AM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2019 08:43 AM (IST)
चुनावी अनिश्चितता के बीच शेयर बाजार पर बुलिश हैं ब्रोकरेज कंपनियां, बुल रन का जताया अनुमान
चुनावी अनिश्चितता के बीच शेयर बाजार पर बुलिश हैं ब्रोकरेज कंपनियां, बुल रन का जताया अनुमान

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद नई सरकार के गठन को लेकर जारी अनिश्चितता के बीच विदेशी ब्रोकरेज एजेंसियों ने भारतीय शेयर बाजार पर मजबूत भरोसा जताया है।

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ब्रोकरेज एजेंसियों का मानना है कि मजबूत फंडामेंटल्स और पिछली सरकार के दौरान किए गए सुधारों का लाभ भारतीय बाजार पर दांव लगाने वाले निवेशकों को मिलेगा।

मॉर्गन स्टैनली और एचएसबीसी ने इस साल भारतीय शेयर में जबदस्त तेजी का अनुमान जताया है।

अपनी हालिया रिपोर्ट में एचएसबीसी ने भारतीय बाजार के परिदृश्य को ''न्यूट्रल'' से बढ़ाकर ''ओवरवेट'' कर दिया है। एजेंसी ने भारत के फाइनैंशियल, मेटल और कंज्यूमर सेक्टर पर भरोसा जताया है।

रिपोर्ट में कहा गया है, 'चुनाव के बावजूद भारत का व्यापक आर्थिक परिदृश्य 2018 के मुकाबले 2019 में ज्यादा बेहतर लग रहा है। महंगाई में कमी आई है और अप्रैल में अर्थशास्त्री ब्याज दरों में कटौती का अनुमान जता चुके हैं। हम उम्मीद करते हैं कि जीडीपी में तेजी आएगी, जिसे जीएसटी जैसे अन्य सुधारों के नतीजों का फायदा मिलेगा।'

हालिया रॉयटर्स के पोल में अधिकांश अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आम चुनाव से पहले होने वाली आरबीआई की बैठक में ब्याज दरों में फिर से कटौती की जा सकती है।

पिछली बैठक में आरबीआई ने अप्रत्याशित रूप से रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती की घोषणा करते हुए इसे 6.50 फीसदी से घटाकर 6.25 फीसद कर दिया था। केंद्रीय बैंक ने इसके साथ ही अपनी नीतिगत मौद्रिक रुख को ''सख्त'' से बदलकर ''सामान्य/न्यूट्रल'' कर दिया है।

रॉयटर्स के एक अन्य पोल में महंगाई को लेकर अनुमान जताया गया है। इसके मुताबिक फरवरी महीने में महंगाई बढ़ सकती है, लेकिन यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के तय किए गए लक्ष्य से नीचे ही रहेगी। जनवरी में महंगाई दर 19 महीनों के निचले स्तर पर जा चुकी है, जिसमें तेल और खाने-पीने के सामान की कीमतों में होने वाला मामूली इजाफा बहुत असर नहीं डालेगा।

खुदरा महंगाई दर के आधार पर ही आरबीआई ब्याज दरों को लेकर फैसला करता है।

अभी तक 2019 में सेंसेक्स का प्रदर्शन अन्य इंडेक्स के मुकाबले कम रहा है। सेंसेक्स जहां पिछले ढ़ाई महीनों में 1.15 तक उछला है, वहीं नैस्डक, हैंग सेंग और एसएंडपी 500 में करीब 12 फीसद तक का उछाल आया है।

हाल ही में बीएनबी पारिबा ने अपनी रिपोर्ट में एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स के 40,000 तक जाने का अनुमान लगाया है।

इससे पहले मॉर्गन स्टैनली ने अपनी रिपोर्ट में सेंसेक्स के 42,000 तक पहुंचने की उम्मीद जताई है। 29 अगस्त 2018 को सेंसेक्स 38,989.65 के स्तर को छूने में सफल रहा था, जो अब तक का ऊच्चतम स्तर है। इसके बाद से सेंसेक्स में करीब 6 फीसद तक की गिरावट आई है।

एजेंसी ने कहा है कि भातीय शेयर बाजार की बुनियाद बेहद मजबूत है और यह बता रहा है कि आने वाले दिनों में इसमें मजबूती आएगी, क्योंकि बाजार का वैल्यूएशन मध्यम स्तर पर पहुंच चुका है।

शेयर बाजार की संभावन को लेकर एजेंसी ने तीन तरह के अनुमान लगाए हैं।

1.सामान्य स्थिति में, दिसंबर 2019 तक बंबई स्टॉक एक्सचेंज का बेंचमार्क इंडेक्स, सेंसेक्स 42,000 तक जा सकता है। इसकी संभावना 50 फीसद है।

2.अगर बाजार में बुल रन की शुरुआत हुई, तो बाजार साल के अंत तक 47,000 के स्तर को छू सकता है। इसकी संभावना 30 फीसद है।

हालांकि, यह मजबूत चुनावी नतीजे और एक पार्टी को बहुमत मिलने की स्थिति होगी।

3.वहीं बियर रन के मामले में बाजार 33,000 तक जा सकता है। इसकी संभावना 20 फीसद है। हालांकि, यह तभी संभव होगा जब वैश्विक स्थितियां खराब होंगी और चुनावी नतीजे ठीक नहीं होंगे।

गौरतलब है कि पिछले साल सेंसेक्स में 6.67 फीसद का उछाल आया। सेंसेक्स इस दौरान 38,989.65 के ऊपरी स्तर को छूने में सफल रहा, जबकि इसका निचला स्तर 32,483.84 रहा।

गौरतलब है कि 17वीं लोकसभा के लिए मतदान की शुरुआत 11 अप्रैल को होगी, जो सात चरणों में होते हुए 19 मई को खत्म होगा। मतगणना 23 मई को होगी।

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