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एंटनी की चली, नहीं बढ़ी रक्षा में एफडीआइ सीमा

रक्षा मंत्री एके एंटनी के तीखे विरोध के चलते रक्षा उत्पादन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा में कोई बदलाव नहीं हो सका। विभिन्न क्षेत्रों में विदेशी निवेश की सीमा की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई में मंगलवार को हुई बैठक में रक्षा उत्पादन के लिए मौजूदा 26 फीसद की सीमा को बरकरार

By Edited By: Published: Wed, 17 Jul 2013 06:18 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
एंटनी की चली, नहीं बढ़ी रक्षा में एफडीआइ सीमा

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। रक्षा मंत्री एके एंटनी के तीखे विरोध के चलते रक्षा उत्पादन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा में कोई बदलाव नहीं हो सका। विभिन्न क्षेत्रों में विदेशी निवेश की सीमा की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई में मंगलवार को हुई बैठक में रक्षा उत्पादन के लिए मौजूदा 26 फीसद की सीमा को बरकरार रखा गया। हालांकि, 26 फीसद से अधिक के प्रस्तावों के लिए एफडीआइ नियमावली का प्रावधान किया गया है।

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रक्षा उत्पादन में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की सीमा बढ़ाने को लेकर सरकार के भीतर काफी समय से रस्साकशी चल रही थी। वित्त मंत्री पी चिदंबरम और वाणिज्य व उद्योग मंत्री आनंद शर्मा इसकी सीमा बढ़ाने की वकालत कर रहे थे। वहीं, एके एंटनी स्वदेशीकरण और सुरक्षा संवेदनशीलता का हवाला देते हुए ऐसे किसी कदम का मुखर विरोध कर रहे थे। वाणिज्य मंत्रालय रक्षा उत्पादन में विदेशी निवेश की सीमा 49 फीसद करने की कोशिश में लगा था। वहीं, विकल्प के तौर पर विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) में रक्षा उत्पादन के लिए सौ फीसद एफडीआइ का भी प्रस्ताव दिया गया था जिसे रक्षा मंत्रालय ने खारिज कर दिया।

विदेशी निवेश प्रावधानों की समीक्षा के लिए बनी अरविंद मायाराम समिति ने भी बीते दिनों पेश अपनी रिपोर्ट में रक्षा उत्पादन क्षेत्र में 49 फीसद एफडीआइ की सिफारिश की थी। इसके बाद चली मंत्रालयों की मशक्कत में रक्षा मंत्रालय ने किसी भी व्यापक बदलाव से इन्कार कर दिया। मंगलवार की बैठक के बाद वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने बताया कि रक्षा क्षेत्र में 26 फीसद से अधिक विदेश निवेश प्रस्तावों के लिए सीसीएस मंजूरी के प्रावधान को अब एफडीआइ नियमावली का हिस्सा बनाया जा रहा है।

गौरतलब है कि रक्षा क्षेत्र में 26 फीसद विदेशी निवेश के लिए विदेशी निवेश संव‌र्द्धन बोर्ड (एफआइपीबी) की मंजूरी जरूरी है। वहीं, इससे अधिक के उन्हीं प्रस्तावों को मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति की मंजूरी मिल सकती है, जिनमें भारत को अत्याधुनिक तकनीक मिलने की उम्मीद है। रक्षा उत्पादन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के दरवाजे खोलने को लेकर अमेरिका समेत कई मुल्क भारत पर दबाव बना रहे हैं।


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