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संकट में ‘महाराजा’ को याद आया अपना धूल फांक रहा खजाना

एयर इंडिया ने कला-संस्कृति की अपनी यह धरोहर पिछले साठ वर्षों में जुटायी है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sat, 07 Jul 2018 12:58 PM (IST)Updated: Sat, 07 Jul 2018 01:06 PM (IST)
संकट में ‘महाराजा’ को याद आया अपना धूल फांक रहा खजाना
संकट में ‘महाराजा’ को याद आया अपना धूल फांक रहा खजाना

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। एयर इंडिया के पास इतना बड़ा खजाना है कि वह चाहे तो अपना काफी कर्ज खुद ही चुका सकती है। जी हां, एयर इंडिया की मुंबई के नरीमन प्वाइंट स्थित इमारत में चार हजार से ज्यादा कीमती कलाकृतियों का संग्रह मौजूद है जिसकी नीलामी से हजारों करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं। एयर इंडिया के स्वर्णिम दौर की इस धरोहर इस पर कभी किसी ने गंभीरतापूर्वक सोचा ही नहीं। इन कलाकृतियों का म्यूजियम बनाने का प्रस्ताव भी विनिवेश के फेर में फंसकर रह गया था। अब जबकि विनिवेश की गाड़ी थम गई है, इस बेशकीमती धरोहर पर एयर इंडिया का ध्यान फिर से गया है।

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एयर इंडिया का यह सांस्कृतिक खजाना मुंबई स्थित नरीमन प्वाइंट बिल्डिंग में सुरक्षित है। इसमें हजारों की संख्या में दुर्लभ पेंटिंग, ग्लास पेंटिंग, पत्थर, धातु और काष्ठ की मूर्तियां, आभूषण, वस्त्र और दुर्लभ घड़ियां शामिल हैं। इनमें कई वस्तुएं तो एक हजार वर्ष से भी ज्यादा पुरानी हैं। फिलहाल एयर इंडिया के पास इस तरह के लगभग 4000 कला व शिल्प वस्तुएं मौजूद हैं जिनकी कीमत का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। उदाहरण के लिए इनमें एम. एफ. हुसैन, एस. एच. रजा, वी. एस. गायतोंडे, के. ए. आरा, अंजली इला मेनन, अर्पणा कौर, बी. प्रभा जैसे विश्व प्रसिद्ध पेंटरों की पेंटिंग्स तो हैं ही, अंग्रेजों व मुगलों के वक्त में भारत के विभिन्न प्रांतों में पहने जाने वाली पोशाकें और कांजीवरम, पठानी, पश्मीना एवं बलूची साड़ियों, शॉल-दुशालों व पगड़ियों के अनूठे संग्रह शामिल हैं।

एयर इंडिया के एक पूर्व अधिकारी के अनुसार लंबे अरसे से गोदामों में धूल खा रही इस बेशकीमती धरोहर को 2016-17 में एयर इंडिया के तत्कालीन अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अश्वनी लोहानी ने पहचाना था और इसे एक म्यूजियम में सहेजने का प्रस्ताव तैयार किया था। महाराष्ट्र सरकार से बात कर इसके लिए चार करोड़ रुपये की राशि भी स्वीकृत की गई थी। लेकिन जैसे ही विनिवेश की धुन छिड़ी और एयर इंडिया में नेतृत्व परिवर्तन हुआ, यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया और कलाकृतियां फिर से धूल खाने लगीं।

विनिवेश की गाड़ी फंसने के बाद एयर इंडिया प्रबंधन को उस प्रस्ताव की फिर से याद आई है। लेकिन इस बार प्रस्ताव में थोड़ा परिवर्तन किया गया है। इसके तहत नया म्यूजियम बनाने के बजाय कलाकृतियों को देश-विदेश के प्रमुख शहरों में म्यूजियमों के मार्फत प्रदर्शित किया जाएगा। इसके लिए संस्कृति मंत्रलय से संपर्क साधा गया है।

एयर इंडिया ने कला-संस्कृति की अपनी यह धरोहर पिछले साठ वर्षों में जुटायी है। इसमें एयर इंडिया के संस्थापक अध्यक्ष जे. आर. डी. टाटा का बड़ा योगदान रहा है। उनका मानना था कि एयर इंडिया के हर दफ्तर में भारतीय संस्कृति की झलक दिखनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने नए-पुराने श्रेष्ठ कलाकारों की कलाकृतियों को खरीदने और उन्हें एयर इंडिया के विभिन्न कार्यालयों में सजाने की नीति लागू की थी।


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