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देश के विमानन उद्योग को राहत देने की तैयारी मॆं सरकार, मिल सकता है बड़ा पैकेज

सरकार एयर इंडिया को 860 करोड़ रुपये की इक्विटी के अलावा 2100 करोड़ रुपये का सरकारी गारंटीशुदा कर्ज दिलाने के इंतजाम करेगी

By Surbhi JainEdited By: Published: Wed, 05 Sep 2018 11:06 AM (IST)Updated: Wed, 05 Sep 2018 11:06 AM (IST)
देश के विमानन उद्योग को राहत देने की तैयारी मॆं सरकार, मिल सकता है बड़ा पैकेज
देश के विमानन उद्योग को राहत देने की तैयारी मॆं सरकार, मिल सकता है बड़ा पैकेज

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। सरकार विमानन उद्योग को बढ़ती लागत से राहत पैकेज देने पर विचार कर रही है। इस बात के संकेत विमानन सचिव राजीव नयन चौबे ने दिए हैं। अंतरराष्ट्रीय विमानन सम्मेलन के मौके पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि सरकार एयर इंडिया को 860 करोड़ रुपये की इक्विटी के अलावा 2100 करोड़ रुपये का सरकारी गारंटीशुदा कर्ज दिलाने के इंतजाम करेगी।

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सम्मेलन में बोलते हुए नागरिक विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने भारतीय विमानन उद्योग की गुलाबी तस्वीर पेश की। उन्होंने कहा कि 50 महीनों से लगातार दोहरे अंकों की वृद्धि हासिल कर उद्योग ने अपनी ताकत दिखा दी है। इसे देखते हुए सरकार ने अगले 10-15 वर्षों में 100 नए एयरपोर्ट विकसित का निर्णय लिया है। इस पर करीब 4.2 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने का अनुमान है।

लेकिन इंटनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आयटा) के प्रमुख अलेक्जेंद्रे दि ज्यूनिका ने सरकार को ज्यादा खुश न होने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे की समस्याओं तथा सरकार की नीतियों के कारण एयरलाइनों की लागत बेतहाशा बढ़ रही है। ऊपर से सरकार ने इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (आइसीएओ) के सिद्धांतों के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय हवाई टिकटों पर जीएसटी लगा दिया है। इससे अल्पकालिक तौर पर थोड़ा ज्यादा राजस्व भले प्राप्त हो जाए, लेकिन दीर्घकाल में भारतीय एयरलाइनें वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाएंगी।

गौरतलब है कि इकोनॉमी क्लास पर पांच प्रतिशत और बिजनेस क्लास के टिकटों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लागू है। विश्व की 280 एयरलाइनों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था के मुखिया ने कहा कि एटीएफ यानी हवाई ईंधन की कीमतों में तीव्र वृद्धि तथा रुपये में गिरावट से एयरलाइनों के मुनाफे पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा है। विश्व में एटीएफ पर 24 प्रतिशत लागत आती है जबकि भारत में उत्पाद शुल्क और राज्य करों के कारण यह 34 प्रतिशत है। यदि इन समस्याओं का समाधान किया जाए तो ही भारतीय विमानन उद्योग बड़ी छलांग लगा सकता है तथा 2037 तक 50 करोड़ यात्रियों वाला बाजार बन सकता है। कंसल्टिंग फर्म कापा के अनुमान के अनुसार इस वर्ष 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में भारतीय विमानन उद्योग का घाटा 1.9 अरब डॉलर (करीब 13,500 करोड़ रुपये) पर पहुंच गया था।

एयर इंडिया के बारे में कापा ने कहा था कि उसे अपनी बैलेंस शीट दुरुस्त करने के लिए तीन अरब डॉलर की जरूरत पड़ेगी। सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया तो 50 हजार करोड़ रुपये के संकलित घाटे में है ही, निजी एयरलाइनों की भी हालत अब खस्ता होने लगी है। जेट एयरवेज को पिछली तिमाही में 1323 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।

जबकि देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो ने भी बीती तिमाही में तीन वर्षो का सबसे कम मुनाफा दर्शाया है। उसकी आमदनी 97 फीसद घट गई है।

भारत में एयरलाइन खोलने की योजना टाली

कतर एयरवेज के प्रमुख अकबर अल बकर ने कहा है कि वह भारत में एयरलाइन स्थापित करने के लिए एक साल तक प्रतीक्षा करेंगे। उन्हें अस्पष्ट विदेशी स्वामित्व संबंधी नियमों के बारे में स्पष्टीकरण की दरकार है। अल बकर ने तीन महीने पहले कहा था कि कतर एयरलाइन भारत में घरेलू हवाई सेवाएं शुरू करने के लिए जल्दी ही आवेदन करेगी। तीन महीने के भीतर ही उनका यह बयान अहम माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि विदेशी कंपनियों को देश में एयरलाइन की सौ फीसद हिस्सेदारी लेने की अनुमति के बारे में मौजूदा नियम स्पष्ट नहीं हैं।

देश में हवाई किराया ऑटोरिक्शा से भी कम: सिन्हा

नागरिक विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने सम्मेलन में कहा है कि प्रति किलोमीटर घरेलू हवाई किराया ऑटोरिक्शा से भी कम है। उन्होंने कहा कि किसी भी बड़े शहर में ऑटोरिक्शा का किराया 8-10 रुपये प्रति किलोमीटर है। ऑटो में दो लोग सफर कर रहे हैं तो प्रति व्यक्ति किराया चार-पांच रुपये प्रति किलोमीटर होगा। अगर आप अपनी यात्र तिथि से पर्याप्त समय पहले हवाई टिकट की बुकिंग कराते हैं तो इसका किराया चार रुपये प्रति किलोमीटर या इससे भी कम बैठेगा। प्रति किलोमीटर हवाई किराए की बात करें तो यह दुनिया में सबसे कम है। सिन्हा ने आगे कहा कि तुलना करने का आशय यह नहीं है कि आप छोटी दूरी हवाई जहाज से तय करें। वह सिर्फ किफायती हवाई किराए के तथ्य को समझाने का प्रयास कर रहे हैं।


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