दूसरे उपक्रमों में भेजे जा सकते हैं एयर इंडिया के कर्मचारी
एयर इंडिया और उसकी सब्सिडियरी इकाइयों में कर्मचारियों की संख्या करीब 29,000 है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। विनिवेश से पहले सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया के कमचारियों को दूसरे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में भेजा जा सकता है। सरकार कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) का भी विकल्प देने की तैयारी कर रही है। घाटे में चल रही सरकारी एयरलाइन में विनिवेश के सरकार के प्रयासों का कई कर्मचारी यूनियन विरोध कर रहे हैं।
सरकार ने हाल ही में कर्ज के बोझ तले दबी एयर इंडिया में 49 फीसद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की अनुमति दी है। आसान तरीके से इसमें रणनीतिक विनिवेश के लिए सरकार प्रयासरत है। मंत्रियों का समूह इसके विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहा है। एयर इंडिया पर 50,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है। फिलहाल यह एयरलाइन करदाताओं के पैसे पर चल रही है। विनिवेश का मकसद एयरलाइन का पुनरोद्धार करना है। जल्द ही इच्छुक बोलीदाताओं से एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट आमंत्रित किया जा सकता है।
मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा कि सरकार एयरलाइन के कर्मचारियों को सार्वजनिक क्षेत्र की अन्य कंपनियों में जाने का विकल्प देने पर विचार कर रही है। इसके अलावा वीआरएस पैकेज पर भी विचार चल रहा है। अभी इस पर अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। इन विकल्पों के सवाल पर नागर नागरिक उड्डयन सचिव आर. एन. चौबे ने कहा, ‘कर्मचारियों के हितों के संरक्षण के लिए कई विकल्पों पर विचार चल रहा है।’
एयर इंडिया और उसकी सब्सिडियरी इकाइयों में कर्मचारियों की संख्या करीब 29,000 है। इसमें कॉन्ट्रेक्ट पर रखे गए कर्मचारी भी शामिल हैं। विभिन्न कर्मचारी यूनियन कंपनी को निजी हाथों में देने का विरोध कर रहे हैं। वहीं सरकार का कहना है कि विनिवेश के जरिये सरकारी एयरलाइन के पुराने दिन लौटाए जा सकते हैं।