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मोराटोरियम की अवधि का ब्याज माफ हुआ तो जमाकर्ताओं को होगा नुकसानः AIBDA

AIBDA की सेक्रेटरी अमिता सहगल ने बयान जारी कर कहा है कि वे बैंकिंग सेक्टर में संभावित ब्याज माफी को लेकर बहुत अधिक चिंतित हैं।

By Ankit KumarEdited By: Published: Wed, 17 Jun 2020 01:20 PM (IST)Updated: Thu, 18 Jun 2020 07:19 AM (IST)
मोराटोरियम की अवधि का ब्याज माफ हुआ तो जमाकर्ताओं को होगा नुकसानः AIBDA
मोराटोरियम की अवधि का ब्याज माफ हुआ तो जमाकर्ताओं को होगा नुकसानः AIBDA

मुंबई, पीटीआइ। ऑल इंडिया बैंक डिपोजिटर्स एसोसिएशन (AIBDA) ने कहा है कि मोराटोरियम की अवधि में बैंक लोन पर ब्याज माफ किए जाने से बैंकों में पैसे जमा कराने वालों को नुकसान होगा। संगठन ने कहा है कि किसी भी तरह की ब्याज माफी से लोन से जुड़ी मौजूदा संस्कृति को नुकसान होगा और इसका असर बैंकों की वित्तीय सेहत पर देखने को मिलेगा। AIBDA ने कहा है कि ब्याज माफ किए जाने की अनुमति दिए जाने से डिपोजिटर्स 'बुरी तरह प्रभावित' होंगे क्योंकि बैंक इससे होने वाले नकुसान को कवर करने के लिए जमा राशि पर ब्याज दर में कमी करेंगे। AIBDA ने कहा कि अतीत में ऋण माफी को सरकार कवर करती थी लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में आय में कमी की वजह से केंद्र और राज्य सरकार ऐसा नहीं कर पाएंगी।

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इसी बीच उच्चतम न्यायालय ने 12 जून को केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को तीन दिन के भीतर बैठक कर मोराटोरियम अवधि के दौरान लोन की किस्त टालने वालों के लिए ब्याज पर ब्याज को माफ करने को लेकर फैसला करने को कहा था।  

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा, 'हम यह जानना चाहते हैं कि क्या ब्याज पर ब्याज को माफ किया जा सकता है।'  

AIBDA ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर मीडिया में चल रही रिपोर्ट्स बहुत अधिक निराशाजनक है, ऐसे में जमाकर्ताओं के लिए अपना रुख स्पष्ट करना जरूरी हो गया था।  

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एसोसिएशन की सेक्रेटरी अमिता सहगल ने बयान जारी कर कहा है कि वे बैंकिंग सेक्टर में संभावित ब्याज माफी को लेकर बहुत अधिक चिंतित हैं। संगठन ने कहा है कि ब्याज माफी से क्रेडिट कल्चर के साथ बैंकों की वित्तीय सेहत को भी नुकसान होगा। 


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