स्टील क्षेत्र में कैपिटल गुड्स निर्माण के लिए हुए समझौते
घरेलू स्तर पर कैपिटल गुड्स की मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से स्टील सेक्टर ने कई विदेशी कंपनियों के साथ करार किए हैं।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। घरेलू स्तर पर कैपिटल गुड्स की मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से स्टील सेक्टर ने कई विदेशी कंपनियों के साथ करार किए हैं। ओडिशा के भुवनेश्वर में स्टील सेक्टर के लिए कैपिटल गुड्स सम्मेलन में विश्व की अग्रणी कैपिटल गुड्स कंपनियों ने घरेलू स्टील कंपनियों के साथ 38 एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। सरकार का अनुमान है कि इन समझौतों पर अमल के बाद आयात व्यय में 39400 करोड़ रुपये की बचत हो सकेगी।
यह सम्मेलन केंद्र सरकार के स्टील मंत्रलय, उद्योग संगठन सीआइआइ और मेकॉन के सहयोग से आयोजित किया गया था। इसका उद्घाटन ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने किया। केंद्रीय स्टील मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि इन समझौतों को कैपिटल गुड्स के उत्पादन की परिणति तक पहुंचाने के लिए इस्पात मंत्रालय कैपिटल गुड्स सहित सभी इस्पात उत्पादों को एक क्रय प्राथमिकता नीति के दायरे में लाने की दिशा में काम कर रहा है।
राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 के तहत देश की वर्तमान 13 करोड़ वार्षिक स्टील उत्पादन क्षमता को 30 करोड़ टन तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। इतनी क्षमता स्थापित करने के लिए अनुमानित तौर पर लगभग 25 अरब डॉलर के संयंत्र और उपकरणों का आयात करना होगा। साथ ही बढ़ी हुई क्षमता के कारखानों के संचालन से जुड़े विभिन्न कलपुर्जो के आयात में सालाना 50 करोड़ डॉलर की आवश्यकता होगी।