इस साल 7.5 फीसद की जीडीपी ग्रोथ हासिल करना मुश्किल
सरकार का कहना है कि वित्त वर्ष 2017-18 में 7.5 फीसद जीडीपी ग्रोथ हासिल करना मुश्किल है
नई दिल्ली (जेएनएन)। वित्त मंत्रालय ने अपने छमाही आर्थिक समीक्षा में कहा है कि वित्त वर्ष 2017-18 में 7.5 फीसद जीडीपी ग्रोथ हासिल करना मुश्किल है। मंत्रालय ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए अनुमानित 6.75 से 7.5 फीसद जीडीपी ग्रोथ के उच्चतम स्तर को प्राप्त करनें में कुछ जोखिम हैं। इस आर्थिक समीक्षा को आज लोकसभा में पेश किया गया।
क्या होती है आर्थिक समीक्षा: आर्थिक समीक्षा में देश के भीतर विकास का रुझान कैसा रहा, देश के किस क्षेत्र में कितना निवेश हुआ, कृषि समेत अन्य उद्योगों का कितना विकास हुआ, योजनाओं को किस तरह अमल में लाया गया इनके बारे में विस्तार से बताया जाता है। यह संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है। इससे पिछले साल की आर्थिक प्रगति का लेखा-जोखा मिलता है। साथ ही नए वित्त वर्ष में आर्थिक विकास की राह क्या होगी, इसका अनुमान भी लग जाता है।
आर्थिक समीक्षा की खास बातें: इस छमाही आर्थिक समीक्षा में वित्त वर्ष 2019 के लिए फूड सब्सिडी 1.75 लाख करोड़ होने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2020 में फूड सब्सिडी के 2 लाख करोड़ होने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2019 के लिए जहां एक ओर फर्टिलाइजर सब्सिडी के 70,000 करोड़ रुपए के स्तर तक पहुंचने का अनुमान है, वहीं वित्त वर्ष 2020 में भी यह आंकड़ा इतना ही रह सकता है। अगर रेवेन्यू एक्सपेंडीचर की बात करें तो वित्त वर्ष 2019 में यह 1.99 लाख करोड़ रुपए रह सकता है जबकि वित्त वर्ष 2020 के लिए रेवेन्यू एक्सपेंडीचर 22.06 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान लगाया गया है।
अगर टैक्स आय की बात करें तो वित्त वर्ष 2018-19 में इसके 15 फीसद बढ़ने का अनुमान वहीं वित्त वर्ष 2019-20 में यह 14.5 फीसद तक बढ़ सकती है। साथ ही वित्त वर्ष 2019 में पेट्रोल सब्सिडी के 18,000 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है जबकि वित्त वर्ष 2020 में पेट्रोल सब्सिडी के 10,000 करोड़ रुपए रहने का अनुमान लगाया गया है। इसके अलावा वित्त वर्ष 2019-20 में पेंशन भुगतान के 1.56 लाख करोड़ रहने का अनुमान है। साथ ही जीडीपी में कैपेक्स का योगदान 1.8 फीसद होने का अनुमान लगाया गया है।