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कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी से दबाव में छोटे उद्यमी, एसी, फ्रिज, कूलर हो सकते हैं महंगे

ऐसा करने पर बिक्री प्रभावित हो जाएगी। स्टील के साथ सीमेंट के दाम में भी तेजी को देखते हुए कंस्ट्रक्शन से जुड़े बिल्डर्स ने भी सरकार से स्टील व सीमेंट के दाम स्थिर करने की मांग की है। पिछले एक साल में सीमेंट के दाम

By NiteshEdited By: Published: Mon, 08 Mar 2021 08:46 AM (IST)Updated: Mon, 08 Mar 2021 12:22 PM (IST)
कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी से दबाव में छोटे उद्यमी, एसी, फ्रिज, कूलर हो सकते हैं महंगे
उनके पास कच्चे माल की खरीदारी के लिए नकदी की भी कमी हो रही

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। औद्योगिक कच्चे माल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी से छोटे उद्यमी दबाव में हैं। पॉलिमर्स, कॉपर, स्टील, पैके¨जग मैटेरियल के दाम में पिछले छह महीनों में भारी उछाल से छोटे उद्यमियों के उत्पादन पर असर पड़ रहा है। विभिन्न प्रकार के कच्चे माल के दाम बढ़ने से एसी, फ्रिज, कूलर जैसी उपभोक्ता वस्तुएं भी महंगी हो सकती हैं। प्लास्टिक वस्तुओं का निर्माण करने वाले छोटे उद्यमियों ने बताया कि वे कच्चे माल के रूप में विभिन्न प्रकार के पॉलिमर्स का इस्तेमाल करते हैं। इनकी कीमतों में पिछले आठ से 10 महीनों में 40 से 155 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 

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कच्चे माल की कीमतों में इस बढ़ोतरी के कारण उन्हें उत्पादन कम करना पड़ा है। उनके पास कच्चे माल की खरीदारी के लिए नकदी की भी कमी हो रही है। ऑल इंडिया प्लास्टिक मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन ने पॉलिमर्स के बढ़ते दाम पर रोक के लिए सरकार से गुहार लगाई है। पॉलिमर्स के दाम बढ़ने से प्लास्टिक पाइप, वाटरटैंक एवं प्लास्टिक बॉडी वाले कूलर महंगे हो जाएंगे। छोटे उद्यमियों का कहना है कि बे ज्यादा दिनों तक अपने मार्जिन पर दबाव नहीं झेल सकते हैं और धीरे-धीरे लागत में बढ़ोतरी का भार ग्राहकों पर डाला जाएगा।

उद्यमियों ने बताया कि पिछले तीन महीनों से तांबे के दाम में बढ़ोतरी से एसी, फ्रिज जैसी वस्तुएं महंगी हो जाएंगी, क्योंकि इनमें तांबे का अधिक इस्तेमाल होता है। वहीं, स्थानीय स्तर पर पंखे बनाने वाले उद्यमियों ने भी महंगे तांबे के कारण कीमतें बढ़ने की बात कही है। ऐसे में लोकल उद्यमियों का काम प्रभावित होगा, क्योंकि लोग ज्यादा कीमत में ब्रांडेड पंखे खरीदना पसंद करेंगे। सालभर में तांबे के दाम में 50 फीसद से अधिक की बढ़ोतरी हुई है और तेजी का रुख कायम है। छोटे उद्यमियों का कहना है कि उनकी पैके¨जग लागत भी लगातार बढ़ती जा रही है। 

वेस्ट पेपर मैटेरियल की कीमत 24 से 25 रुपये प्रति किलो हो गई है, जो पिछले साल फरवरी-मार्च में 10 से 13 रुपये प्रति किलो थी। स्टील आइटम बनाने वाले छोटे उद्यमियों के मार्जिन पर भी दबाव लगातार बढ़ रहा है। उद्यमियों ने बताया कि जनवरी, 2019 से लेकर दिसंबर, 2020 तक स्टील के दाम 40,000 प्रति टन से बढ़कर 58,000 रुपये प्रति टन हो गए और उसके बाद भी दाम में तेजी जारी है। उद्यमियों ने बताया कि वे लागत में बढ़ोतरी का पूरा भार ग्राहकों पर नहीं डाल सकते हैं। ऐसा करने पर बिक्री प्रभावित हो जाएगी।स्टील के साथ सीमेंट के दाम में भी तेजी को देखते हुए कंस्ट्रक्शन से जुड़े बिल्डर्स ने भी सरकार से स्टील व सीमेंट के दाम स्थिर करने की मांग की है। पिछले एक साल में सीमेंट के दाम 360 रुपये से बढ़कर 430 रुपये प्रति 50 किलोग्राम हो गए हैं।


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