FY18 में पैदा हुईं 67 लाख नई नौकरियां: अध्ययन
अप्रैल, 2017 से फरवरी, 2018 के बीच 58 लाख लोगों को रोजगार हासिल हुआ है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। यह आंकड़ा सालाना दो करोड़ नई नौकरियां देने के भाजपा के दावे से तो कम है, लेकिन उतना कम भी नहीं है, जितना दावा कांग्रेस करती है। अगर सरकारी क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) के प्रमुख अर्थशास्त्री डॉ. सौम्या कांति घोष की टीम के अध्ययन को आधार माना जाए तो पिछले वित्त वर्ष यानी 2017-18 में देश में तकरीबन 67 लाख नई नौकरियां पैदा हुई हैं।
आर्थिक मुद्दों पर शोध प्रकाशित करने वाली एसबीआइ की टीम ने यह अनुमान सरकार की तरफ से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ), नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) व कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआइसी) की तरफ से दिए गए आंकड़ों के आधार पर ही लगाया है।
यह वही टीम है जिसने पूर्व में कहा था कि वर्ष 2017-18 में 70 लाख नौकरियां दी जाएंगी। इस पर कांग्रेस व अन्य विपक्षी पार्टियों ने सरकार का मजाक उड़ाया था। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा था कि असल में यह संख्या काफी कम है। बहरहाल, घोष की टीम का कहना है कि ईपीएफओ और एनपीएस की तरफ से नए रोजगार प्राप्त लोगों के सामाजिक सुरक्षा योगदान के जो आंकड़े दिए गए हैं उनके मुताबिक अप्रैल, 2017 से फरवरी, 2018 के बीच 58 लाख लोगों को रोजगार हासिल हुआ है। दरअसल, सरकार के आंकड़े बताते हैं कि इस अवधि में ईपीएफओ में 46.7 लाख नए लोगों ने योगदान देना शुरू किया है।
इसके आधार पर पूरे वित्त वर्ष के लिए 51 लाख लोगों को रोजगार मिलने का अनुमान लगाया गया है। जबकि एनपीएस के मामले में 6.2 लाख नए रोजगार ग्रहण करने वालों का अंशदान आना शुरू हुआ है। ये आंकड़े पिछले वित्त वर्ष के पहले 11 महीनों के हैं। पूरे वित्त वर्ष के लिए सात लाख लोगों की तरफ से एनपीएस में योगदान का अनुमान लगाया गया है। इसके बाद अध्ययनकर्ताओं ने ईएसआइसी के तहत 8.8 लाख लोगों के शामिल होने का अनुमान लगाया है। इन तीनों का कुल योग 67 लाख बनता है जो एसबीआइ के पूर्व अनुमान 70 लाख के बेहद करीब है।
वैसे एसबीआइ की तरफ से जो आंकड़ा दिया गया है उससे यह भी साफ होता है कि फरवरी, 2018 में ईपीएफओ में योगदान देने वालों की संख्या नवंबर, 2017 के बाद से लगातार कम हो रही है।