वैश्विक एयरलाइन उद्योग में ढाई करोड़ नौकरियां खतरे में, 6.55 करोड़ लोगों की रोजी-रोटी इस सेक्टर से है जुड़ी
कोरोना महामारी के कारण हवाई यातायात पर अंकुश लगने से दुनियाभर में विमानन उद्योग से जुड़े ढाई करोड़ लोगों की नौकरी खतरे में पड़ गई है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना महामारी के कारण हवाई यातायात पर अंकुश लगने से दुनियाभर में विमानन उद्योग से जुड़े ढाई करोड़ लोगों की नौकरी खतरे में पड़ गई है। इनमें सबसे ज्यादा 1.12 करोड़ लोग एशिया-प्रशांत क्षेत्र के होंगे। ये बात एयरलाइनों के अंतरराष्ट्रीय संगठन इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) ने कोरोना से उपजी स्थितियों के नवीनतम आकलन के आधार पर कही है।
आयटा के अध्ययन के मुताबिक दुनियाभर में तकरीबन 6.55 करोड़ लोग एयरलाइन उद्योग पर निर्भर हैं। इसमें ट्रैवल और टूरिज्म उद्योग के लोग भी शामिल हैं। इनमें से 27 लाख नौकरियां शुद्ध तौर पर एयरलाइनों से जुड़ी हैं। कोरोना के कारण दुनियाभर में हवाई यातायात, खासकर यात्री हवाई परिवहन पर तीन महीने तक प्रतिबंध रहने की संभावना है। ऐसे में लगभग ढाई करोड़ लोगों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है।
इनमें सबसे ज्यादा 1.12 करोड़ लोग एशिया-प्रशांत क्षेत्र से संबंधित हैं। जबकि यूरोप के 56 लाख, दक्षिण अमेरिकी देशों के 29 लाख, उत्तरी अमेरिकी देशों के 20 लाख, अफ्रीकी देशों के भी 20 लाख तथा खाड़ी देशों के 90 हजार पेशेवर शामिल हैं।
एयरलाइनों की आमदनी में भी 2019 के मुकाबले इस वर्ष 44 फीसद की गिरावट का अंदेशा है। इसमें भी दूसरी तिमाही सबसे ज्यादा घातक साबित होने वाली है, जिसमें एयरलाइनों की कमाई 70 फीसद तक गिरने से पूरे विमानन उद्योग को 610 करोड़ डॉलर यानी करीब 43,000 करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका है।
इन हालात में एयरलाइन कंपनियां सरकारों से तत्काल राहत पैकेज की मांग कर रही हैं। आयटा ने खासतौर पर देशों को एविएशन इंडस्ट्री को तीन तरह की राहत देने का आह्वान किया है। ये हैं-प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता, कर्ज, कर्ज की गारंटी तथा कॉरपोरेट बांड मार्केट को समर्थन एवं कर संबंधी राहत।
IATA के अनुसार कोरोना से एयरलाइन उद्योग पर पड़ रहे विनाशकारी प्रभाव को बयान करने के लिए उपयुक्त शब्द नहीं हैं, क्योंकि इसका दर्द उद्योग से जुड़े ढाई करोड़ लोगों को भी सहन करना पड़ सकता है। यदि उद्योग को फिर से पटरी पर लाना है तो उसे समर्थन देना ही होगा। तभी वे कोरोना महामारी के बाद अपने ऑपरेशंस पूरी तरह बहाल कर सकेंगी।
IATA के मुताबिक वित्तीय सहायता के अलावा दोबारा खड़े होने के लिए एयरलाइन उद्योग को सूझबूझ और समन्वय के साथ आगे की योजना बनानी होगी। क्योंकि इससे पहले हमें कभी भी इतने व्यापक स्तर की त्रसदी के संताप से नहीं गुजरना पड़ा है। हमें इस तरह के संकटों से उबरने का कोई अनुभव नहीं है। इसलिए ये प्रक्रिया जटिल होगी। व्यावहारिक स्तर पर हमें उन लाइसेंसों तथा प्रमाणपत्रों के नवीकरण के लिए आपातकालीन इंतजाम करने होंगे। हमें इस बात का भी ख्याल रखना पड़ेगा कि उड़ानें चालू होने के बाद ये संक्रमण फिर से न फैल जाए। यात्र प्रतिबंध समाप्त होने से पहले खुद को तैयार करने के लिए हमें पहले से इसकी सूचना देने का उचित तंत्र विकसित करना चाहिए।