इनकी उम्र है 100 साल से ज्यादा, आज भी हैं जवान, कमाती हैं करोड़ों
दो विश्व युद्ध, महा मंदी, भारतीय स्वतंत्रता का संघर्ष, लाइसेंस राज और 1
नई दिल्ली। दो विश्व युद्ध, महा मंदी, भारतीय स्वतंत्रता का संघर्ष, लाइसेंस राज और 1990 के सुधार और विस्तार। ऐसा कौन हो सकता है जिसने ये सब देखा है और जिसका अस्तित्व आज भी मौजूद हो? ये सब उन 100 से ज्यादा साल पुरानी भारतीय कंपनियों की नजरों के सामने से गुजरा है, जिन्होंने चाहे अनचाहे सभी को देखा, सहा, महसूस किया और आगे बढ़ीं। इन कंपनियों को आज भी कोई बूढ़ा नहीं कह सकता है। ये हैं भारत की 100 से ज्यादा उम्र की युवा कंपनियां।
जेस्सोप एंड कंपनी : इस कंपनी की स्थापना 1788 में ब्रिटिश इंजीनियर विलियम जेस्सोप ने की थी, जिसे पहले ब्रीन एंड कंपनी कहा जाता था। 225 साल पुरानी कंपनी की शुरुआत कोलकाता से हुई। इसे भारत की सभी कंपनियों का परदादा कहा जाता है। यह पहली कंपनी है जिसने भारत के लखनऊ शहर में लोहे का पुल और पश्चिम बंगाल का हावड़ा ब्रिज बनाया। अब ये कंपनी रुईया समूह के पास है।
ब्रिटानिया : साल 1892 में पश्चिम बंगाल के गुप्ता परिवार ने 295 रुपये का निवेश किया जिसे आज हम ब्रिटानिया के नाम से जानते हैं। यह पहली भारतीय बिस्कुट कंपनी रही जिसने ओवन का इस्तेमाल किया। ब्रिटानिया ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सैनिकों को बिस्कुट की सप्लाई भी की। यह कंपनी आज करीब 12,400 करोड़ रुपये का कारोबार कर रही है।
सेंचुरी टेक्सटाइल्स एंड इंडस्ट्रीज : सेंचुरी इंडस्ट्रीज की स्थापना 1897 में नूसोरजी. एन. वाडिया ने की थी। नूरोसजी बॉम्बे डाइंग के मालिक नूस्लि वाडिया के परदादा हैं। अमेरिकी गृह युद्ध के दौरान इस कंपनी ने काफी कारोबार बढ़ाया। तीन दशक बाद, इसे आर. डी. बिरला ने खरीद लिया। 1951 में इस के कंपनी ने चेयरमैन घनश्याम बिरला और बंसत कुमार बिरला बने।
टीवीएस : टीवीएस की स्थापना सबसे पहले मदुरई में हुई। इस कंपनी की स्थापना टी. सुंदरम अय्यर ने की थी। इसकी शुरुआत ऐसे वक्त पर हुई जब आम लोगों के पास कारें होती ही नहीं थीं। कंपनी की शुरुआत 1911 में हुई। बसों से चलने वालों को बाइक देने का काम इस कंपनी ने किया।
डाबर : देश की सबसे बड़ी आयुर्वेद दवा बनाने वाली कंपनी डाबर की स्थापना 1884 में हुई। इसकी शुरुआत एस. के. बर्मन ने की थी। भारतीय कॉर्पोरेट जगत में डाबर का नाम 100 साल से ज्यादा पुराना हो चुका है। कंपनी की वर्तमान परिसंपत्ति 530 करोड़ रुपये से ज्यादा है।
आईटीसी : इस कंपनी की शुरुआत एक ब्रिटिश कंपनी ने 1910 में की। तब इसका नाम इम्पिरियल टोबैको था, जिसने डनहील और केंट नाम से दो चर्चित ब्रांड पेश किए। साल 1969 में अजित नरायण हक्सर ने इसे खरीदा और 1974 में इसका नाम आईटीसी रखा।
गोदरेज : साल 1897 में अर्देश्री गोदरेज ने इसकी स्थापना की। इस कंपनी को आज हर कोई जानता है। लोगों को असल में फ्रिज की आदत गोदरेज के कारण ही पड़ी है।
टाटा स्टील : इस कंपनी को कौन नहीं जानता। जमशेदजी एन. टाटा ने इसका सपना 1802 में देखा और स्टील प्लांट लगाया। आज यह दुनिया की सबसे बड़ी स्टील निर्माता कंपनियों में से एक है।