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होम लोन ब्याज पर लेना चाहते हैं एक्स्ट्रा बेनिफिट तो इन शर्तों पर दें ध्यान

अतिरिक्त ब्याज नई शुरू की गई धारा 80 ईईए के तहत कटौती के लिए लागू होगा। इसलिए टैक्सपेयर अब प्रति वर्ष 3.5 लाख रुपये तक कटौती के लिए दावा कर सकेगा।

By Sajan ChauhanEdited By: Published: Mon, 08 Jul 2019 01:10 PM (IST)Updated: Mon, 08 Jul 2019 07:24 PM (IST)
होम लोन ब्याज पर लेना चाहते हैं एक्स्ट्रा बेनिफिट तो इन शर्तों पर दें ध्यान
होम लोन ब्याज पर लेना चाहते हैं एक्स्ट्रा बेनिफिट तो इन शर्तों पर दें ध्यान

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यूनियन बजट 2019 में घर खरीदने के लिए होम लोन पर दिए गए ब्याज के लिए 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त कटौती का प्रस्ताव किया है। वर्तमान में घर खरीदने के लिए एक साल में 2 लाख रुपये तक होम लोन पर चुकाया गया ब्याज आयकर अधिनियम की धारा 24 के तहत कटौती के लिए योग्य है। अतिरिक्त ब्याज नई शुरू की गई धारा 80 ईईए के तहत कटौती के लिए लागू होगा। इसलिए टैक्सपेयर अब प्रति वर्ष 3.5 लाख रुपये तक कटौती के लिए दावा कर सकेगा। इसके तहत 15 साल के लोन की अवधि में मीडियम क्लास कैटेगरी के घर खरीदारों को लगभग 7 लाख का लाभ मिल पाएगा। टैक्स में कटौती के लिए दावा करने से पहले इन शर्तों और नियमों का पालन करना जरूरी है।

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1. 1 अप्रैल, 2019 से 31 मार्च, 2020 तक की अवधि के दौरान कर्जदाता से लोन पास होना चाहिए। इसका मतलब यह है कि 31 मार्च, 2019 से पहले लिए गए मौजूदा लोन पर टैक्स बेनिफिट नहीं मिलेगा।

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2. घर की संपत्ति का स्टैंप ड्यूटी मूल्य 45 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए। इसका मतलब यह है कि घर का रजिस्ट्रेशन 45 लाख रुपये तक होना चाहिए। अगर आप इस राशि से अधिक का घर खरीदना चाहते हैं तो आप इसके तहत कटौती के लिए दावा नहीं कर पाएंगे।

3. लोन सेंक्शन होने की तारीख पर टैक्सपेयर किसी भी अन्य रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी का मालिक नहीं होना चाहिए। इसका मतलब यह है कि टैक्स बेनिफिट उनके लिए है जिनके पास अब तक कोई घर नहीं है।

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4. अगर आपने पहले ही इस सेक्शन के तहत कटौती का लाभ उठाया है तो इनकम टैक्स एक्ट के किसी भी अन्य सेक्शन के तहत एक ही ब्याज राशि का लाभ नहीं उठाया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि एक ही ब्याज पर टैक्स बेनिफिट का क्लेम सेक्शन 24 और सेक्शन 80ईईए के तहत एक ही समय में नहीं किया जा सकता है। हालांकि लिमिट से अधिक के अमाउंट के लिए दोनों कैटेगरी के तहत क्लेम कर सकते हैं।

5. अगर आपके घर का कारपेट एरिया महानगरों में 60 वर्ग मीटर (645 वर्ग फुट) से अधिक नहीं है या 90 वर्ग मीटर (968 वर्ग फुट) महानगरों के अलावा शहरों या कस्बों में बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली एनसीआर, हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई को छोड़कर इससे अधिक नहीं है तभी इसके लिए क्लेम किया जा सकता है। यह 1 सितंबर, 2019 या उसके बाद प्रभावी होगा। इसका मतलब यह है कि सुपर कारपेट एरिया की तुलना में कारपेट एरिया लगभग 30 फीसद कम है। अगर आप महानगरों में लगभग 1000 वर्ग फुट या दूसरे शहरों में 1350 वर्ग फुट से अधिक बड़ा घर ढूंढ रहे हैं तो यह ऑफर बहुत मदद नहीं कर सकता है। सरकार को ऑफर को मदद में आने लायक बनाने के लिए एरिया की लिमिट में राहत देने की जरूरत है। 


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