अपनी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी पर आसानी से लें लोन, यह है पूरा प्रोसेस
यहां ब्याज दर प्रीमियम के अमाउंट और भुगतान किये गए प्रीमियम की संख्या पर निर्भर करती है। प्रीमियम और प्रीमियम की संख्या जितनी अधिक होगी ब्याज दर उतनी ही कम होगी।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। लाइफ इंश्योरेंस ना केवल आपको लाइफ कवर प्रदान करता है, बल्कि इस पर आप लोन लेकर अपनी वित्तीय जरूरतें भी पूरी कर सकते हैं। लाइफ इंश्योरेंस कंपनीज लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज को इस तरह फ्लेक्सिबल बनाती है कि वे एक फाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट विकल्प के रूप में भी काम कर सके। आइए जानते हैं कि लाइफ इंश्योरेंस पर लोन किस तरह लिया जा सकता है और इसके क्या फायदे हैं।
लाइफ इंश्योरेंस पर लोन लेने के फायदे
लाइफ इंश्योरेंस पर लोन लेने के लिए तुरंत ही मंजूरी मिल जाती है। आपको पॉलिसी की सरेंडर वैल्यू पर लोन के लिए तुंरत मंजूरी मिल जाती है। इसके साथ ही यहां पर्सनल लोन की तुलना में ब्याज दरें भी कम होती हैं। यहां समय और बाजार के साथ पॉलिसी की वैल्यू भी नहीं बदलती है, जबकि सोने (Gold) पर लोन लेने पर वैल्यू में बदलाव होता रहता है। आयकर विभाग द्वारा लोन की राशि को आय में नहीं जोड़ा जाता है, इसलिए यहां टैक्स से भी आपको छूट मिलेगी।
किन पॉलिसीज पर ले सकते हैं लोन
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज कई प्रकार की होती हैं। जैसे- टर्म लाइफ यूलिप, Endowment, Whole Life, मनी बैक आदि, लेकिन सभी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज से लोन नहीं लिया जा सकता। जैसे कि टर्म लाइफ प्लान्स में पॉलिसी पर लोन नहीं लिया जा सकता है, क्योंकि इसमें नकद वैल्यू या सरेंडर वैल्यू जमा नहीं होती है। इसलिए पहले जांच लें कि आपकी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी पर लोन लिया जा सकता है या नहीं। यदि आपकी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी यह योग्यता रखती है तो आप तब ही लोन ले सकते हैं, जब आपने नियमति रूप से कम से कम तीन साल तक प्रीमियम का भुगतान किया हो। हालांकि, कुछ कंपनियों में यह अवधि 3 साल के बजाय 6 महीने भी हो सकती है।
कितनी होती है लोन की राशि
इंश्योरेंस पॉलिसी पर लोन की मंजूरी के लिए पॉलिसीधारक को किसी विशेष पड़ताल से नहीं गुजरना होता है, क्योंकि गारंटीशुदा रिटर्न वाले प्लान में लोन अमाउंट सरेंडर वैल्यू का 80 से 90 फीसदी होता है। यूलिप प्लान्स की बात करें तो सभी यूलिप्स में लोन की सुविधा नहीं होती है। अगर कोई यूलिप लोन की सुविधा देता है, तो इसमें लोन अमाउंट कोष की ताजा वैल्यू के बराबर होता है।
ब्याज दर
इंश्योरेंस पॉलिसीज पर ब्याज दर प्रीमियम के अमाउंट और भुगतान किये गए प्रीमियम की संख्या पर निर्भर करती है। प्रीमियम और प्रीमियम की संख्या जितनी अधिक होगी, ब्याज दर उतनी ही कम होगी।