दुनियाभर में तबाही मचा रहे कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए दुनियाभर में वैक्सीन बनाने की कोशिशें हो रही हैं। इस बीच रेस में सबसे आगे चल रही कोरोना वैक्सीन परीक्षण के दौरान साइड इफेक्ट सामने आने पर इसे रोक दिया गया है। इससे पहले रूस की वैक्सीन के ट्रायल्स को लेकर भी वैज्ञानिकों ने सवाल उठाए हैं। वैक्सीन निर्माण, परीक्षण और इसकी संभावनाओं पर विशेषज्ञों ने अपनी राय जाहिर की है।
ब्रिटेन की वैक्सीन का परीक्षण रोका गया
ब्रिटेन की आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और फार्मा कंपनी आस्ट्राजेनेका कोरोना वैक्सीन निर्माण के तीसरे चरण में हैं। वैक्सीन बनाने की रेस में आस्ट्राजेनेका सबसे आगे रही है। तीसरे चरण का परीक्षण ब्रिटेन में 31 अगस्त को 30 हजार लोगों पर किया गया। इसमें से एक वालंटियर को खतरनाक बीमारी ने जकड़ लिया है। वैक्सीन से जानलेवा साइड इफेक्ट सामने आने के बाद ट्रायल्स को तत्काल प्रभाव से रोका जा चुका है।
भारत में भी सीरम इंस्टीट्यूट ने रोका परीक्षण
आस्ट्राजेनेका ने कहा है कि वह वैक्सीन के साइड इफेक्ट से हुई इस बीमारी की जांच कर रहे हैं। इसके कारणों समेत विभिन्न पहलुओं पर जांच शुरू की गई है। जब तक बीमारी का पता और उसका निदान नहीं ढूंढ लिया जाएगा तब तक वैक्सीन के आगे के ट्रायल्स नहीं होंगे। भारत में सीरम इंस्टीट्यूट इसी वैक्सीन के परीक्षण कर रहा था, जिसे अब रोक दिया गया है।
रूसी वैक्सीन पर सवाल उठा चुके हैं वैज्ञानिक
कोरोना वैक्सीन बनाने का सबसे पहले ऐलान करने वाले रूस ने स्पुतनिक वैक्सीन ट्रायल्स ही पूरे नहीं किए थे। इस उसे वैश्विक आलोचना झेलनी पड़ी थी। हाल में इटली के 26 वैज्ञानिकों ने रूसी वैक्सीन के शुरुआती रिजल्ट का अध्ययन करने के बाद वैक्सीन की विश्वसनीयता पर संदेह जताया है। हालांकि, वैक्सीन निर्माता रूसी कंपनी ने वैज्ञानिकों के अध्ययन को नकार दिया है।
WHO प्रमुख बोले- वैक्सीन बनाने में जल्दबाजी घातक
कोरोना वैक्सीन पर हुई इन दो घटनाओं के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर डॉक्टर टेड्रोस ने वैक्सीन पर जल्दबाजी नहीं करने की सलाह देते हुए पहली प्राथमिकता सुरक्षा को बताया है। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि वैक्सीन कारगर है या नहीं इसके लिए धीरज से काम लेना होगा। हमें संभावित वैक्सीन के लिए लाखों लोगों पर परीक्षण करने की जरूरत है।
डॉक्टर स्वामीनाथन ने बताई वैक्सीन निर्माण की प्रकिया
डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन ने अलजजीरा से वैक्सीन निर्माण में लगने वाले समय, प्रकिया और संभावनाओं पर बात की थी। डॉक्टर स्वामीनाथन के अनुसार एक वैक्सीन को बनाने में कम से कम 4 से 5 साल का समय लग जाता है। यह समय सीमा 10 साल भी हो सकती है। वैक्सीन के इतिहास के अनुसार 10 फीसदी से भी कम वैक्सीन अंतिम चरण में सफल हो पाती हैं। उन्होंने कहा कि इस साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत में वैक्सीन आने की संभावना है।
दुनियाभर में वैक्सीन का ऐसा है हाल
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में 120 से ज्यादा कोरोना वैक्सीन ट्रायल्स के अलग अलग फेज में चल रही हैं। 25 वैक्सीन फेज-1 में चल रही हैं, जबकि 14 फेज-2 और 9 वैक्सीन अंतिम स्टेज यानी फेज-3 में चल रही हैं। अभी तक किसी भी वैक्सीन को एप्रूवल नहीं दिया गया है। वैक्सीन बनाने में दुनियाभर की 18 से ज्यादा फार्मा कंपनियां जुटी हैं। रूस और चीन ने दूसरे ट्रायल्स में ही अपनी वैक्सीन को सेल्फ एप्रूवल दिया है, जिसकी उन्हें आलोचना झेलनी पड़ी है।…NEXT
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