कोरोना महामारी के दौरान लोगों से पैसा ऐंठने के लिए कुछ लोगों ने चिकित्सा क्षेत्र को अपने गलत कार्यों से बदनाम कर दिया है। दिल्ली में एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ हुआ जो लोगों की फर्जी कोरोना रिपोर्ट जारी करता था। इस गिरोह का मुखिया ने रूस से डॉक्टरी की पढ़ाई की है।
कोरोना को अवसर में बदल ऐंठ रहे थे पैसा
कोरोनाकाल को कुछ लोगों अपनी जेब भरने का अवसर बनाने का काम किया है। लेकिन, वह जल्द ही पुलिस के हत्थे चढ़ गए हैं। एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने तीन लोगों को फर्जी कोरोना रिपोर्ट जारी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। तीनों आरोपी लोगों से कोरोना जांच के नाम पर पैसा ऐंठते थे और बिना जांच किए ही जाली रिपोर्ट थमा देते थे।
4-5 लैब्स के नाम से जारी करते थे फर्जी रिपोर्ट
साउथ दिल्ली के डीसीपी के मुताबिक आरोपी तीनो व्यक्ति दिल्ली की 4-5 नामी पैथोलॉजी लैब्स के नाम पर फर्जी कोरोना रिपोर्ट जारी करने का गिरोह चला रहे थे। जब पुलिस को मामले की सूचना मिली तो मौके पर जाकर तीनों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के मुताबिक तीनों आरोपियों ने अपना जुर्म स्वीकार किया है।
रूस से एमबीबीएस की डिग्री लेकर कर रहा जालसाजी
रिपोर्ट के मुताबिक गिरफ्तार डॉक्टर कुश पाराशर ने रूस से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की है। कोरोना के दौरान मोटा पैसा बनाने के लिए दो और साथियों अमित और सोनू को भी फर्जी कोरोना रिपोर्ट बनाने के काम में शामिल कर लिया। डॉक्टर कुश ने माना कि वह लोगों के सैंपल लेकर उन्हें नष्ट कर देता था।
75 फर्जी कोरोना रिपोर्ट जारी कर दीं
पुलिस के मुताबिक इस गिरोह ने अब तक करीब 75 फर्जी कोरोना रिपोर्ट जारी की हैं। तीनों आरोपियों पर अलग अलग धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। इनके गिरोह में शामिल अन्य लोगों के बारे में पूछताछ जारी है। इसके साथ ही कुछ पैथोलॉजी सेंटर्स पर निगरानी बढ़ा दी गई है।
बांग्लादेश में भी पकड़ा गया था ऐसा ही मामला
गौरतलब है कि ऐसा ही मामला बांग्लादेश में भी सामने आ चुका है। ढाका में लैब और अस्पताल के मालिक डॉक्टर मोहम्मद शाहेद ने कोरोना की 6300 निगेटिव रिपोर्ट जारी कर दीं थी। मामले खुलने पर वह अस्पताल से फरार हो गया और 9 दिन बाद भारतीय सीमा में अवैध तरीके से घुसने के दौरान पकड़ा गया।…NEXT
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