भारत के 13वें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अब हमारे बीच नहीं हैं। 31 अगस्त को उनका निधन हो गया। वह कोरोना की चपेट में आकर कई दिनों से दिल्ली के अस्पताल में भर्ती थे। प्रणब मुखर्जी दूरदर्शी नेता होने के साथ ही अपनी काबिलियत का लोहा मनवाने वाले व्यक्ति थे। उन्हें वित्तीय क्षेत्र की इतनी समझ थी कि उन्हें विश्व का बेस्ट फाइनेंस मिनिस्टर चुना गया था। यही नहीं वह एशिया और भारत के सर्वश्रेष्ठ वित्तमंत्री भी चुने गए थे।
एक दर्जन से ज्यादा डिग्री और उपाधियां
पश्चिम बंगाल के मिराती में 11 दिसंबर 1935 को जन्मे प्रणब मुखर्जी ने राजनीति के क्षेत्र में खूब तरक्की हासिल की और वह देश के सवोच्च पद यानी राष्ट्रपति पद पर भी चुने गए। कलकत्ता यूनिवर्सिटी से बीए, एमए और एलएलबी की डिग्रीयां हासिल करने वाले प्रणब मुखर्जी ने अपने पूरे जीवन में दर्जन भर से ज्यादा डीलिट, डॉक्ट्रेस समेत एक दर्जन से ज्यादा उपाधियां हासिल कीं।
नेता बनने से पहले क्लर्क, प्रोफेसर और पत्रकार बने
पढ़ाई पूरी करने के बाद सबसे पहले प्रणब मुखर्जी टेलीग्राफ विभाग में कलकत्ता के आडिटर जनरल के यहां क्लर्क की नौकरी करने लगे। इसके बाद वह राजनीति विषय के प्रोफेसर बन गए। शुरुआत से मुखर और और से विचार रखने वाले प्रणब मुखर्जी ने पत्रकार के तौर भी नौकरी की। उन्हें कलकत्ता के मशहूर दैनिक अखबार देशेर डाक में काम किया।
अपने साथी को चुनाव जिताकर राष्ट्रीय स्तर पर छा गए
प्रणब मुखर्जी 1965 में पूरी तरह राजनीति में सक्रिय हो गए। 1969 में मिदनापुर उपचुनाव में वह निर्देलीय प्रत्याशी और अपने मित्र वीके कृष्ण मेनन को चुनाव जिताने में कामयाब हो गए। प्रणब मुखर्जी की रणनीति सियासत को इंदिरा गांधी ने पहचान लिया और उन्हें 1969 में राज्यसभा का टिकट दिया और प्रणब मुखर्जी सांसद चुने गए।
1984 में बेस्ट फाइनेंस मिनिस्टर इन द वर्ल्ड का खिताब
इंदिरा गांधी की सरकार में 1982 से 1984 तक प्रणब मुखर्जी वित्तमंत्री रहे। इस दौरान प्रणब मुखर्जी की नीतियों को खूब सराहा गया और विश्व स्तर पर फाइनेंस का बड़ा जानकार मान लिया गया। इस दौरान ब्रिटेन की मशहूर बिजनेस मैग्जीन यूरोमनी ने विश्व के सर्वश्रेष्ठ फाइनेंस मिनिस्टर के लिए सर्वे किया तो प्रणब मुखर्जी को पहली रैंक हासिल हुई और उन्हें बेस्ट फाइनेंस मिनिस्टर इन द वर्ल्ड का खिताब दिया गया।
बेस्ट फाइनेंस मिनिस्टर इन एशिया और इंडिया चुने गए
2009 से 2012 तक मनमोहन सिंह की सरकार में प्रणब मुखर्जी फाइनेंस मिनिस्टर नियुक्त किए गए। इस दौरान आर्थिक क्षेत्र में किए गए कार्यों और ढुलमुल नीतियों में बदलाव के लिए खूब सराहा गया। इस दौरान इमर्जिंग मार्केट न्यूजपेपर की और प्रणब मुखर्जी को एशिया का बेस्ट फाइनेंस मिनिस्टर का खिताब दिया गया। साल 2010 में द बैंकर की ओर से फाइनेंस मिनिस्टर आफ द ईयर घोषित किया गया।
सांसद से मंत्री और फिर देश के राष्ट्रपति बने
प्रणब मुखर्जी लगातार 5 बार राज्यसभा सांसद चुन गए। वह पहली बार 1969 में राज्यसभा सदस्य बने। इसके बाद वे 1975, 1981, 1993 और 1999 में भी राज्यसभा सदस्य बने। पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में फरवरी 1995 से मई 1996 तक विदेश मंत्री रहे। मनमोहन सिंह की सरकार में मई 2004 से अक्टूबर 2006 तक डिफेंस मिनिस्टर बने। मनमोहन सिंह की सरकार में ही 2006 से 2009 तक दूसरी बार विदेश मंत्री बने। इंदिरा गांधी की सरकार में 1982 से 1984 तक और मनमोहन सिंह की सरकार में जनवरी 2009 से जुलाई 2012 तक वित्त मंत्री रहे। 25 जुलाई 2012 को देश के 13वें राष्ट्रपति बने।…NEXT
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