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इस बार फिर होली दिल में ही जली। अपनों ने फिर बुरा-भला कहा। बहुत कोसा। पत्नी ने तो मायके में ही रहने की धमकी दे डाली। बच्चे आज तक बात करने को तैयार नहीं हैं। आप लोग भी सोच रहे होंगे कि किसी भी ब्लागर्स भाई-बहनों को मैंने होली पर शुभकामना नहीं दी। उम्मीद है आप लोग मुझे माफ करेंगे। दरअसल में फोन उठाकर आप लोगों को बधाई देने ही वाला था कि कमबख्त एक फोन आ गया। दरअसल वो एक क्लाइन्ट का फोन था। आपसे मिलना जरूरी है। कुछ डील पर बातें करेंगे। मैं उसी के साथ ताबड़-तोड़ बिजनेस डील करता चला गया। कब होली आयी कब चली गयी। अब मैं खोज रहा हूं होली तुम कहां हो। न दिल में हो न चेहरे पर हो। भांग की गोली में हो या शराब की बोतल में हो। मुर्गे की टांग में हो या मछली के कांटे में। रंगों की चोली में हो। शरारत व शराफत में हो या दही बाड़े में। पर नहीं मिल रही कहीं होली। हां मुझे इतना भर पता जरूर है कि होली आयी। खैर परिवार वालों से पूछकर बताता हूं कि होली कब आयी। पत्नी ने कहा था। कई बार फोन लगाया कि आज होली है और आप मीटिंग में व्यस्त हैं। मैंने कहा भाग्यवान बुरा मत मानना यही तो आज की होली है। हे लक्ष्मी मइया मेरी सुशील पत्नी को थोड़ी सी अक्ल दे दे मां। तुझे पूजे बगैर क्या खाक होली मनेगी। बिजनेस मीट से ही तो बात बनेगी। होली तो अगले साल भी आयेगा लेकिन ये कमबख्त क्लाइन्ट भाग जायेगा। पत्नी ने कहा देखो ना टीवी पर प्रोग्राम आ रहा है। कौरव व पांडव होली के महायुद्ध में खड़े हैं। दोनों की सेनाओं के हाथों में रंगभरी पिचकारी है लेकिन अर्जुन होली नहीं खेलना चाहता है। पार्थ हैं कि अर्जुन को समझा रहे हैं। हे अर्जुन जिस तरह मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर नये वस्त्रों को ग्रहण करता है ठीक उसी तरह लोग होली पर रंगों को साबुन से धोकर साफ कर लेते हैं। अगर रंग कुछ दिन बाद भी चेहरे पर लगा रहे तो लोग उसका बुरा नहीं मानते। देखो द्रोपदी भी अपने खुले बालों को बांधकर होली के युद्ध में तुम्हारा साथ देने आ गयी है। वो दुर्योधन से अपने अपमान का बदला रंग लगाकर लेना चाहती है। तभी पार्थ को फोन आ जाता है। पार्थ मैं सोनिया बोल रही हूं। होली मुबारक हो। सुना है आपकी बात अर्जुन नहीं मान रहे। अरे छोड़ों न पार्थ तुम भी कहां फंसे हो महाभारत में। अरे मेरे पास दस जनपथ आ जाओ न। मेरे पास कौरव व पांडवों से भी बढ़कर सेना है। रंग है पिचकारी है और फिर मैं हूं ना। मेरे साथ कई गोपियां भी हैं जिनसे तुम मिल चुके हो। ममता लाल है तो सुषमा केसरिया। जयललिता तो तुम्हारे टिप्स पर ही चुनाव में छात्राओं को लैपटाप व महिलाओं को मंगलसूत्र देने का भरोसा दिला रही है। आओ न सुषमा को भी बुलाया है बहुत कटारी शेर सुनाती है। अरे सोनिया वो क्या है ना कि मैंने…। तभी पत्नी झल्लाती है। देख नहीं रहे, मैंने कहा देख कहां सुन रहा हूं। अभी क्लाइंट से छुट्टी लेकर पहुंचता हूं लेकिन इतनी बातें पूरा महाभारत वो क्लाइंट मेरा मेरे ही फोन पर मेरी ही पत्नी के मुख से सुनता रहा लेकिन मुझे छुट्टी देने के नाम पर कन्नी काटता रहा। जब मैं उससे बच-बचाकर किसी तरह घर पहुंचा होली बीत चुकी थी और सबके सब साबुन लेकर मेरे पास खड़े थे लो मेरा रंग छुड़ा दो और मैं सबका चेहरा पढ़ता रहा खुद के चेहरे को आइने में बार-बार देखता रहा।
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