कभी घूरे के दिन भी फिरते हैं, तभी तो जिस ग्वार के पौधे को फसल का दुश्मन समझा जाता था वही किसानों के लिए पारसमणि बन गया है। किसान अब इसकी खेती कर मालामाल हो रहे हैं। माधौगढ़ और कालपी तहसील में करीब 3 हजार एकड़ में ग्वार की फसल की गई है। निर्यात की जाने वाली फसल का दर्जा मिल जाने से कुछ माह पहले इसका भाव 25 से 30 हजार रुपये कुंतल तक पहुंच गया था। कृषि अभियांत्रिकी में स्नातक डिग्री प्राप्त और खेती के क्षेत्र में शोध अभियान से जुड़े दीपेंद्र अग्रवाल ने बताया कि ग्वार ऊबड़ खाबड़ और वर्षा आधारित क्षेत्र में परंपरागत तौर पर होने वाली फसल है। पहले किसान इसे उखाड़कर पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल करते थे। उनके मुताबिक इसके दानों से एक प्रकार का गोंद मिलता है जो पूरी दुनिया में ‘ग्वारगम’ के नाम से चर्चित हो गया है। इसका उपयोग दवा, कागज, कपड़ा उद्योग और आइसक्रीम, सूप व सलाद में होता है। विदेशों में कई बड़े उद्योगों में इसकी मांग होने से यह निर्यातक फसल बन गई है। 2-3 साल से कुछ आपूर्तिकर्ताओं ने किसानों को प्रेरित करके ग्वार की व्यवस्थित खेती कराई। काफी अच्छी कीमत मिलने से बड़ी संख्या में किसान इसकी खेती कर रहे हैं। इस बार तो किसान में इसका बीज हासिल करने के लिए बेहद मारामारी रही। बेहद सस्ती लागत परमार्थ संस्था ने अपने परियोजना क्षेत्र में ग्वार के बीज बंटवाकर इसकी प्रदर्शन खेती का अभियान चलाया है। संस्था के अध्यक्ष अनिल सिंह ने बताया कि इसमें ज्यादा से ज्यादा दो बार पानी लगाना पड़ता। खाद भी नाम मात्र की देनी पड़ती है। बेहद कम लागत के साथ-साथ ग्वार पैदा करने से जलवायु आधारित खेती को बढ़ावा मिलेगा जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होगी। बीहड़ क्षेत्र में ग्वार की फसल साल में दो बार ली जा सकती है। आशातीत भाव के पीछे सट्टा बाजार की नब्ज के जानकार और युवा व्यापारी मनोज महेश्वरी का कहना है कि ग्वार के भाव में एकदम आसमान की बुलंदी जैसा चढ़ाव वास्तविक न होकर सट्टेबाजों की करतूत है। 25 से 30 हजार रुपए कुंटल के भाव की आस लगाए किसानों को हो सकता है कि 5 हजार रुपये कुंतल का भाव तक मिलना मुश्किल हो जाये। उनका कहना है कि फिर भी किसानों के लिए मुनाफे की फसल है। सबसे बड़ी बात है कि यह मैंथा का अच्छा विकल्प है। इसमें मैंथा की तरह पानी की बेतहाशा खपत नहीं होती।
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments