Shishir Ghatpande Blogs
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खिलाड़ियों की उपलब्धि पर धनलक्ष्मी और कुबेर की भाँति करोड़ों की धनवर्षा करने वाली सरकारें-संस्थाएँ शहीदों को ५ लाख देती हैं, दादरी के कथित निर्दोष के परिवार को कोई ४५ लाख और तीन नौकरियाँ देता है तो सिवाए अपने राज्य के पूरे देश की चिन्ता करने वाला ५० लाख….
निःसन्देह, खिलाड़ी देश के गौरव हैं, देश का मान-सम्मान बढ़ाते हैं और देश-देशवासियों से उचित मान-सम्मान के पूर्ण हक़दार हैं. लेकिन फ़ौजियों का दर्जा सर्वोपरि है, वे न केवल देश की आन-बान-शान हैं बल्कि देश का अस्तित्व, अस्मिता, अखण्डता केवल और केवल उन्हीं की बदौलत है.
ये भी नहीं भूलना चाहिये कि फ़ौजी शब्द के साथ ही “त्याग” जुड़ा है, ना केवल उसका अपना बल्कि उसके पूरे परिवार का….
निःसन्देह, शहादत या बलिदान का कोई मोल नहीं होता लेकिन सरकारों और संस्थाओं का कुछ नैतिक कर्तव्य तो अवश्य होता है ??????
शिशिर घाटपाण्डे
मुम्बई
०९९२०४ ००११४
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