फिल्मजगत में 25 साल तक राज करने वाली अभिनेत्री सुचित्रा सेन अपने शानदार अभिनय के लिए आज भी याद की जाती हैं। वह सुर्खियों में तब आई थीं जब उन्होंने बिमल रॉय की देवदास में पारो के किरदार में जान फूंक दी थी। वहीं, बाद में जब उन्होंने राजेश खन्ना की फिल्म बीच में छोड़कर पब्लिक से संपर्क काट लिया तब भी वह सुर्खियों में रहीं। पहली फिल्म के साथ सुपरस्टार बनने वाली सुचित्रा इस कदर पब्लिक अपीयरेंस से दूर हुईं कि उन्होंने सिनेमा का सबसे बड़ा पुरस्कार दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड लेने से भी मना कर दिया था। अभिनय के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवॉर्ड हासिल करने वाली दूसरी भारतीय बनीं अभिनेत्री सुचित्रा सेन की बर्थ एनीवर्सरी पर जानते हैं उनके बारे में।
बांग्लादेश में जन्मीं, 15 बरस में हो गई शादी
विभाजन से पहले तत्कालीन बांग्लादेश के पाबना में 6 अप्रैल 1931 को शिक्षित परिवार में जन्मी सुचित्रा सेन के बचपन का नाम रामा दासगुप्तो था। सुचित्रा के पिता शिक्षक थे तो उनके दादा राजोनीकांत जानेमाने कवि थे। विभाजन के दौरान सुचित्रा का परिवार पश्चिम बंगाल आ गए थे। 1947 में जब वह मात्र 15 साल की थीं तब सुचित्रा का विवाह मशहूर उद्योगपति आदिनाथ सेन के बेटे दीबानाथ सेन के साथ हो गया था।
22 साल तक रिलीज नहीं हुई पहली फिल्म
शादी के पहले से ही सुचित्रा को अभिनय में रूचि थी जो शादी के बाद भी जारी रही। उनके पति दीबानाथ सेन ने अभिनय पर उनका साथ दिया। सुचित्रा को बंगाली फिल्म इंडस्ट्री से अभिनय में एंट्री मिली और उनकी पहली फिल्म शेष कोथाय बनी। हालांकि, यह फिल्म उस वक्त रिलीज नहीं हो सकी। इसे करीब 22 साल बाद 1974 में दूसरे नाम शरबना संध्या के साथ रिलीज किया गया।
बिमल रॉय की देवदास ने दिलाई शोहरत
अगले साल 1952 में सुचित्रा सेन की बंगाली फिल्म सात नंबर कायेदी रिलीज हुई जो उनकी ऑफिशियली पहली फिल्म बनी। वहीं, 1955 में आई बिमल रॉयल की फिल्म देवदास में सुचित्रा सेन ने पारो का किरदार निभाया और फिल्म इंडस्ट्री का सबसे लोकप्रिय चेहरा बन गईं। यह उनकी पहली हिंदी फिल्म भी थी। देवदास में दिलीप कुमार और वैजयंतीमाला भी मुख्य भूमिकाओं में थीं। इस फिल्म को नेशनल समेत कई फिल्म अवॉर्ड हासिल हुए।
इंटरनेशनल अवॉर्ड पाने वाली पहली अभिनेत्री
1963 में सुचित्रा सेन को मॉस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में फिल्म सात पके बंध के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड हासिल करने वाली सुचित्रा सेन दूसरी भारतीय और पहली अभिनेत्री बनी थीं। सुचित्रा सेन के नाम बंगाली समेत हिंदी भाषा की दर्जनों हिट फिल्में देने का कीर्तिमान है। उन्हें फिल्मों में योगदान के लिए दर्जनों अवॉर्ड सम्मानित किया जा चुका है।
राजेश खन्ना की फिल्म बीच में छोड़ी
1970 में पति दीबानाथ सेन के निधन से सुचित्रा सेन के जीवन में बड़ा परिवर्तन आया। मशहूर उपन्यासकार बिक्रम चंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास देवी चौधराइन पर डायरेक्टर बिमल रॉय इसी नाम से फिल्म बनाना चाहते थे, लेकिन सुचित्रा के इनकार करने पर बिमल रॉय कभी यह फिल्म नहीं बना सके। सुचित्रा ने राजकपूर की फिल्म को भी मना कर दिया। 1978 में वह अभिनेता राजेश खन्ना के साथ फिल्म नाटी बिनोदिनी की शूटिंग कर रही थीं, लेकिन उन्होंने बीच में ही फिल्म छोड़ दी और अभिनय नहीं करने का फैसला कर लिया।
दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड लेने से इनकार
सुचित्रा सेन ने अपना पूरा वक्त रामकृष्ण मिशन को समर्पित कर दिया और पब्लिक से लगभग पूरी तरह संपर्क खत्म कर दिया। 2005 में उन्हें फिल्मों में अतुलनीय योगदान के लिए सबसे बड़े सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित करने का ऐलान किया गया। लेकिन, पब्लिक में नहीं आने के चलते उन्होंने इसे लेने से इनकार कर दिया। 17 जनवरी 2014 को 82 वर्ष की उम्र में सुचित्रा सेन ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। जानीमानी अभिनेत्री मुनमुन सेन सुचित्रा सेन की बेटी हैंऔर राइमा सेन, रिमी सेन उनकी ग्रांडचिल्ड्रेन हैं।…NEXT
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