CHINTAN JAROORI HAI
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हमारे स्वर्गीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था। आखिर जवान और किसान ही क्यूँ ,अन्य कोई शख्स क्यूँ नहीं। कारण स्पष्ट है ये दोनों ही कोई अन्य व्यवसाय अपनाकर ज्यादा से ज्यादा धन कमा सकते थे परंतु किसान ने देश को अन्न देने और जवान ने देश की रक्षा का बीड़ा उठाया। अपनी आर्थिक स्थिति खराब होने पर भी इन्होंने कभी कोई शिकायत तक नहींं की। यही दो ऐसी शख्सियत हैं जो आज तक कभी राजनीति का मोहरा न बन सके।
आज आज़ादी के इतने वर्ष बाद न जाने क्यों किसान सड़कों पर उतर आया है। हालांकि सच्चाई कुछ और है ये चंद आस पास के प्रदेशों से आये किसान राजनीति के तहत साज़िश का शिकार हुए हैं जिन्हें आंदोलन बनाये रखने हेतु पीछे से आर्थिक और राजनीतिक मदद मिल रही है। वस्तुतः सच्चाई तो यह है कि पहली बार इस देश मे गरीब किसान के पक्ष में कानून बनने लगे हैं जो बड़े किसानों या कहें बड़े साहूकारों के आंख में खटक रहे हैं।
बड़े और संपन्न किसान आज भी छोटे किसानों को दबा कुचला देखना चाहते हैं ।इन नए नियमों से बिचोलियों की दुकान बंद हो जाएगी और किसान को उसकी मेहनत का सही मूल्य सीधे उसके हाथों में मिलने लगेगा। आज समय की ये मांग है देश मे होने वाले सकारात्मक परिवर्तनों को स्वीकार करते हुए इस आंदोलन का विरोध किया जाय और देश भर के किसानों को सामने आकर आगे बढ़कर इस आंदोलन को खत्म करने की अपील करनी चाहिए तथा बातचीत के सही पटल पर आकर अपनी जायज़ माँगे मनवाकर एक नए युग का सूत्रपात करना चाहिए।
अंत में एक स्वरचित कविता के साथ अपनी वााणी को विराम देना चाहूँँगा
धरती माँ के जो सदा करीब ही रहा
अफसोस धन धान्य में गरीब ही रहा
सूखे बाढ़ के प्रकोप में भी जो नही कांपा
दुर्गम परिस्थिति में भी खोया नही आपा
माथे पर रोज़ बहता पसीना
इस महान का
नारा मिला जय जवान जय किसान का
अपने उन्नयन के विरोध का तलबगार हो गया
राजनीति का मोहरा बनने को तैयार हो गया
डिस्क्लेमर: उपरोक्त विचारों के लिए लेखक स्वयं उत्तरदायी हैं। जागरण डॉट कॉम किसी भी दावे, तथ्य या आंकड़े की पुष्टि नहीं करता है।
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