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महाराष्ट्र के एक जाने माने लेखक, रंगमंच कर्मी, कहानी लेखक और फिल्म निर्माता गिरीश कर्नाड (Girish Karnad) का आज जन्मदिवस है. गिरीश कर्नाड को 1994 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1998 में ज्ञानपीठ पुरस्कार के अलावा पद्म श्री (Padam Shree) और पद्म भूषण (Padam Bhusan) से भी सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने हिन्दी में उत्सव, मंथन, इकबाल, डोर जैसी फिल्मों में काम किया. कन्नड़ फिल्म ‘संस्कार’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है.
गिरीश कर्नाड (Girish Karnad) का जन्म 19 मई, 1938 को हुआ था. बचपन से उनकी रुचि नाटकों की तरफ थी. महाराष्ट्र में जन्में गिरीश ने स्कूल के समय से ही थियेटर से जुडकर काम करना शुरु कर दिया था. कर्नाटक आर्ट कॉलेज से स्नातक करने के बाद वह इंग्लैण्ड चले गए जहां उन्होंने आगे की पढ़ाई पूरी की.
इसके बाद वह भारत लौट आए और चेन्नई में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में सात साल तक काम करने के बाद इस्तीफा दे दिया. इस दौरान वह चेन्नई के कई आर्ट और थियेटर क्लबों से जुड़े रहे. इसके बाद वह शिकागो चले गए जहां उन्होंने यूनिवर्सिटी और शिकागो में बतौर प्रोफेसर काम किया. ततपश्चात गिरीश भारत दुबारा वापस लौट आए और अपने साहित्य के अपार ज्ञान से क्षेत्रीय भाषाओं में कई फिल्में बनाईं और साथ ही कई फिल्मों की पटकथा भी लिखी.
गिरीश एक सफल पटकथा लेखक होने के साथ एक बेहतरीन निर्देशक भी हैं. गिरीश ने कन्नड़ भाषा में अपनी रचनाएं लिखीं. जिस समय उन्होंने कन्नड़ में लिखना शुरू किया उस समय कन्नड़ लेखकों पर पश्चिमी साहित्यिक पुनर्जागरण का गहरा प्रभाव था. लेखकों के बीच किसी ऐसी चीज के बारे में लिखने की होड़ थी जो स्थानीय लोगों के लिए बिल्कुल नयी थी. इसी समय कर्नाड ने ऐतिहासिक तथा पौराणिक पात्रों से तत्कालीन व्यवस्था को दर्शाने का तरीका अपनाया तथा काफी लोकप्रिय हुए. उनके नाटक ययाति (1961, प्रथम नाटक) तथा तुग़लक़ (1964) ऐसे ही नाटकों का प्रतिनिधित्व करते हैं. तुगलक से कर्नाड को बहुत प्रसिद्धि मिली और इसका कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ.
गिरीश कर्नाड ने वर्ष 1970 में कन्नड़ फिल्म “समस्कर” (Samskar) से अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत की जिसकी पटकथा उन्होंने ही लिखी थी. इस फिल्म को कई पुरस्कार मिले जिसके बाद गिरीश ने कई फिल्में की. उन्होंने कई हिन्दी फिल्मों में भी काम किया जिसमें निशांत, मंथन, पुकार आदि प्रमुख हैं.
गिरीश को उनके बेहतरीन काम के लिए 1974 में पद्मश्री और 1992 में पद्मभूषण पुरस्कार मिला. इतना ही नहीं, गिरीश कर्नाड को कन्नड़ साहित्य में अमूल्य योगदान के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. 1972 में गिरीश को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था. गिरीश ने फिल्मी कला को नई ऊंचाई प्रदान की है. आज हमारे बीच ऐसे फिल्मकार बहुत कम हैं जो साहित्य और संस्कारों के साथ फिल्में बनाने को तत्पर रहते हैं.
गिरीश कर्नाड की ज्योतिषीय विवरणिका देखने के लिए यहां क्लिक करें.
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