Akshansh Kulshreshtha
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हाल ही में Journal of Science में एक Research paper प्रकाशित किया गया जिसके अनुसार शरीर में बनने वाली एंटीबॉडी की प्रतिक्रिया का संबंध शरीर द्वारा सारस सी ओ वी -2 वायरस को निष्प्रभावी करने से हैं जिसकी वजह से संक्रमण होता है, वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोनावायरस से जूझने के बाद स्वस्थ हुए मरीजों में कम से कम 5 महीनों तक शरीर में एंटीबॉडी बनी रहती है।
अमेरिका की माउंट सिनाई हॉस्पिटल के कार्यरत और जर्नल ऑफ साइंस में प्रकाशित अनुसंधान पत्र के वरिष्ठ लेखक florian kremer ने कहां खाना की कुछ खबरें आई थी कि वायरस से संक्रमित की प्रतिक्रिया में विकसित एंटीबॉडी जल्द समाप्त हो रही है लेकिन हमने अपने अध्ययन और जानकारी से इसका उल्टा ही पता लगाया है उन्होंने कहा कि 90% मरीजों में महीनों तक एंटीबॉडी शरीर में बनी रहती हैं।
उन्होंने कहा कि अपने अध्ययन में हमने यह पाया है कि हल्के या मध्यम दर्जे के लक्षण वाले कोरोना मरीजों में बनी एंटीबॉडी महीनों तक वायरस को निष्प्रभावी रखने में मजबूती से काम करती हैं जिसके बाद हम इस निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए वैज्ञानिकों ने संक्रमण से ठीक हुए लोगों की enzyme linked immunosuppressant
नामक एंटीबॉडी की जांच की जिससे हम को पता चल सके की कोशिका पर वायरस का आक्रमण होने पर बनने वाले इस प्रोटीन का स्तर आखिर क्या है?
क्या होती है antibody ?
अनुसाधन कर्ताओं की माने तो जब वायरस कोशिकाओं पहली बार संक्रमित करता है तब प्रतिरक्षा तंत्र वायरस से लड़ने के लिए कुछ देर तक जीवित रहने वाली प्लाज्मा कोशिकाओं को तैनात करता है जो एंटीबॉडी उत्पन्न करती है उन्होंने कहा कि संक्रमण होने से 14 दिन बाद तक रक्त की जांच में यह एंटीबॉडी सामने आ जाती है।
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