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झिकरी नदी तबाही मचाने को तैयार , लोगों में दहशत

बगहा। आसमान में बादल उमड़ते देख बाढ़ की आशंका से दिल धड़कने लगता है। मानसून करीब आने को लेकर थरुहट के

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Jun 2018 04:21 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jun 2018 04:21 PM (IST)
झिकरी नदी तबाही मचाने को तैयार , लोगों में दहशत
झिकरी नदी तबाही मचाने को तैयार , लोगों में दहशत

बगहा। आसमान में बादल उमड़ते देख बाढ़ की आशंका से दिल धड़कने लगता है। मानसून करीब आने को लेकर थरुहट के लोगों को वर्षा की उम्मीद के साथ बाढ़ की आशंका भी सताने लगी है। बाढ़ की आशंका को लेकर शासन प्रशासन द्वारा बाढ़ से पूर्व बचाव के लिए किसी प्रकार की कोई तैयारी शुरू नहीं की गई है। हालांकि स्थानीय ग्रामीणों ने अपने स्तर से बांध निर्माण कर गांव को बाढ़ से बचाने का प्रयास किया है। अब गांव वाले अपनी तैयारी में कितना कारगर साबित होते हैं। यह बाढ़ आने के बाद ही पता चल पाएगा। इधर थरुहट क्षेत्र से गुजरने वाली विभिन्न नदियों के आसपास के गांवों के ग्रामीणों में बाढ़ को लेकर तरह-तरह की आशंकाएं उठने लगी है। थरुहट क्षेत्र के अधिकतर गांव पहाड़ी नदियों के किनारे पर बसे हुए हैं। जिनमें झिकरी, भपसा, कोशिल, मनोर, हरहा, मसान व रोहुआ नदी के किनारे में सैकड़ों गांव बसते हैं। जिसमें झिकरी नदी के किनारे पर बसे तरुअनवा, बरवाकला, भड़छी व मनोर नदी के किनारे पर बसे भथोहिया टोला, गोनौली, मलकौली के साथ कई गांव बाढ़ के दिनों में प्रभावित रहते हैं।

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पहाड़ी नदी में एक सप्ताह पूर्व दस्तक दे गई बाढ:

थरुहट क्षेत्र के तरुअनवा गांव में पड़ने वाली झिकरी नदी में एक सप्ताह पूर्व बाढ़ दस्तक दे गई। जिससे गांव के अंदर व किनारे पर बसे लोग परेशान दिख रहे हैं। बाढ़ से बचाव के दिशा में विभाग द्वारा किसी प्रकार का कोई काम नहीं दिख रहा है। झिकरी पहाड़ी नदी हर वर्ष बाढ़ के समय कई जगहों पर संवेदनशीन बन जाता है। नेपाल के साथ वनों में जोरदार बारिश और पहाड़ी नदियों की उफान के कारण बाढ़ की आशंका को लेकर ग्रामीण भयभीत हैं। कटान से ग्रामीणों की धड़कनें बढ़ गईं हैं। बताते चलें कि झिकरी नदी में आने वाली बाढ़ हर वर्ष कटाव करती है। बीते कुछ वर्षों में इसमें कटाव से सैकड़ों एकड़ कृषि योग्य भूमि रेत में तब्दील होकर नदी में विलीन हो गए। यहां तक कि बाढ़ का पानी गांव में भी घुस जाता है। बीते वर्ष आई भयंकर बाढ़ की त्रासदी से तरुअनवा, बरवाकला और भड़छी गांव के ग्रामीण आज भी भयभीत हैं कि कहीं इस बार भी बाढ़ नदी से उफान होकर गांव में उसका पानी घुसकर तबाह न कर दे। गांव के ग्रामीणों का कहना है कि बीते कई दशक से झिकरी नदी में आने वाली बाढ़ ने सैकड़ों एकड़ कृषि योग्य भूमि को नदी में विलीन कर दिया। इस पर बांध बनाने के लिए कई बार स्थानीय विधायक, सांसद व अधिकारियों से गुहार लगाई गई लेकिन बांध का निर्माण नहीं कराया गया। बरसात के दिनों में तो हरनाटांड़ व अनुमंडल से सप्ताह से महीना तक संपर्क भंग हो जाता है। जबतक इस नदी पर बांध नहीं बनेगी तबतक पहाड़ी नदी का तांडव मचता रहेगा। कहते हैं ग्रामीण : ग्रामीण योगेन्द्र प्रसाद का कहना है कि हमारा गांव झिकरी नदी के किनारे पर अवस्थित है। यह पहाड़ी नदी हर बरसात में तांडव मचाती है। लेकिन शासन प्रशासन द्वारा इस नदी पर बांध बनाने के दिशा में कोई पहल नहीं कि गई। अगर यहीं हालात बने रहा तो आने वाले दिनों में तरुअनवा गांव का नामोनिशान मिट जाएगा। भागीरथ ओजहिया कहते हैं कि झिकरी नदी में बीते एक सप्ताह पहले से ही बाढ़ ने दस्तक दे दी है। बाढ़ से आय दिन कटाव की स्थिति बनी रहती है। प्रत्येक बरसात में इस पहाड़ी नदी के कटाव करने से हमारे उपजाऊ खेत नदी में विलीन हो रहे हैं। सरकार को इस पर बांध बनाकर बाढ़ से निजात दिलानी चाहिए। अन्तलाल गुरो का कहना है कि झिकरी नदी में बाढ़ आने की वजह से कई गांव प्रभावित होते हैं। खासकर इससे तरुअनवा और बरवाकला गांव प्रभावित होता है। हर बरसात में गांव में बाढ़ की आशंका बनी रहती है। बाढ़ की वजह से एक गांव से दूसरे गांव में आवागमन बाधित हो जाता है। सरकार को चाहिए कि इसपर बांध बनाकर पुल का निर्माण कराना चाहिए। जितेंद्र ओजहिया कहते हैं कि जब तक झिकरी नदी पर गाइड बांध का निर्माण नहीं किया जाता है। तबतक यह पहाड़ी नदी तांडव मचाते रहेगी और हमारे खेतों को काटते रहेगी। यही हाल बना रहा तो एक दिन बाढ़ हमारे गांव को तबाह कर देगी। जनप्रतिनिधियों से लेकर शासन प्रशासन तक कि नजर इस पर नहीं है। जो निश्चित ही ¨चता का विषय है।

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