जहां चाहा लगा दी पोल, विभाग के लिए नहीं जिदगी का मोल
बेतिया। जिले में बिजली से होने वाली दुर्घटना की लम्बी फेहरिस्त है। आए दिन रेलवे अस्पताल बैंक आम लोगों के घर शॉर्ट सर्किट से आगलगी की घटनाएं हो रही है। हाईटेंशन तार गिरने की घटना में लोगों की जान जा रही है।
बेतिया। जिले में बिजली से होने वाली दुर्घटना की लम्बी फेहरिस्त है। आए दिन रेलवे, अस्पताल, बैंक, आम लोगों के घर शॉर्ट सर्किट से आगलगी की घटनाएं हो रही है। हाईटेंशन तार गिरने की घटना में लोगों की जान जा रही है। बेतरतीब फैले तार के चलते पोल में विद्युत प्रवाह हो जाता है। जो मनुष्य के साथ-साथ बेजुबानों के लिए घातक है और आए दिन दुर्घटना का गवाह बनते जा रहें है। इसका मुख्य कारण जर्जर बिजली का तार व विभागीय लापरवाही है। इसके कारण सरकारी अस्पताल, रेलवे सहित कई सार्वजनिक जगहों पर लटके हुए जर्जर तार, टूटे हुए बिजली बोर्ड और स्वीच सहज ही दिख जाएंगे। टूटे हुए तार जब स्पार्क करता हैं तो शॉर्ट सर्किट से आग लग जाती हैं। शहर में नंगा जर्जर तार इसके मुख्य कारण हैं। हल्की सी हवा में जर्जर तार आपस में टकराते हैं। शॉर्ट सर्किट से आग लग जाती हैं। तार टूटकर सड़क, खेत या लोगों के घर पर गिर जाता हैं। नतीजतन इसके चपेट में आने से कई बार लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ती हैं। यूं कहे तो बिजली विभाग के सामने जिदगी का कोई मोल नहीं है।
इनसेट
यत्र तत्र पोल लगाने से राजस्व की क्षति
बिजली विभाग की ओर से नवीनीकरण का कार्य किया जा रहा है। लेकिन मजबूत प्लान के नहीं होने के चलते यत्र तत्र पोल गाड़ दिए जाते है। जबकि शहर में सड़क चौड़ीकरण करने का अभियान चलाया जा रहा है। स्कूली कर घरों के छज्जे दीवाल तोड़े जा रहे है। ऐसे में विद्युत विभाग की ओर से गाड़ी गए पोल सड़क के बीचोंबीच में दिखने लगता है। नतीजतन विभाग को पुन: उक्त पोल को उखाड़ने के बाद पुन: सड़क के किनारे गाड़ना पड़ता है। विभाग की थोड़ी सी लापरवाही व जल्दबाजी के चलते सरकारी राजस्व का भारी क्षति हो रहा है।
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सरकारी एलईडी बल्ब बनी गले की हड्डी
सरकार की ओर से एलईडी बल्ब का वितरण विद्युत विभाग के कार्यालय, पोस्ट ऑफिस, प्रखंड कार्यालय जैसे सरकारी संस्थानों पर नियंत्रित मूल्य में वितरण किया गया। बाजार के मूल्य से 10 रुपये की रियायत के लालच में लोगों ने सरकारी एलईडी बल्ब की खरीदारी जमकर की। लेकिन वही बल्ब अब लोगों के गले की हड्डी बन गई है। धीरे-धीरे सारे बल्ब फ्यूज हो चुके हैं। विभाग में इसकी कोई अता पता नहीं मिल रहा है। लोग महीनों से दर दर भटक रहें है उपभोक्ताओं के लिए बल्ब एक्सचेंज करना बड़ी समस्या बन गई है।
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दरवाजे पर पोल, गैलेरी के समीप झूलते जर्जर तार
गली-मोहल्लों में बिजली के झूलते तार लोगों की परेशानी का कारण बनी हुई हैं। खासकर शहर के विभिन्न मोहल्लों में यहां वर्षो पहले लगाए गए पोल व तार हर दिन मौत को निमंत्रण दे रहे हैं। शायद ही कोई ऐसा मोहल्ला होगा। जहां यह स्थिति नहीं हो। बल्कि कमोवेश हर जगह यही स्थिति हैं। खास कर लाल बाजार, इलमराम चौक, अस्पताल रोड, जनता सिनेमा से कविवर नेपाली पथ सहित दर्जनों मोहल्ले ऐसे है जहां जर्जर तार लोगों के परेशानी का सबब बना हुआ हैं। इतना ही नहीं 60 के दशक में लगाए गए पोल भी आम लोगों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं हैं। इलमराम चौक, इमली चौक, बंगाली कालोनी सहित लगभग आधा दर्जन ऐसे प्वाइंट है। जहां आवासीय कालोनी होने के बावजूद जैसे तैसे पोल व तार दौड़ा दिए गए हैं। यहां थोड़ी सी लापरवाही आम लोगों के घर वालों के लिए काफी नुकसानदेह साबित हो सकती हैं। इलमराम चौक स्थित एक घर के मुख्य दरवाजें पर ही पोल लगा दिया गया है। इसको देख सहज कहा जा सकता हैं कि विभागीय अधिकारियों के लिए जान से ज्यादा कीमती शायद बिजली हो। हल्की फाल्ट होने पर उक्त पोल में करंट आने की प्रबल संभावना हैं। इससे गुजरने वाली विद्युत तार भी कम खतरनाक नहीं हैं। यदि घर वालों से थोड़ी सी भी चूक हुई तो उनकी जान पर भारी पड़ सकती हैं। इसको लेकर कई बार गृह स्वामी विभागीय अधिकारियों से आरजू मिन्नत कर चुके हैं। लेकिन विडंबना यह हैं कि अधिकारी आपूर्ति को लेकर सख्त हैं। नतीजतन उन्हे जान माल की कोई चिता नहीं। ।
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इनसेट बयान
जर्जर पोल व तार बदलने का कार्य चल रहा हैं। इस पर काफी गति से काम किया जा रहा हैं। बहुत जल्द ही शहर के सभी मोहल्लों को जर्जर तार व पोल से मुक्ति मिल जाएगी।
दिवाकरलाल
कार्यपालक अभियंता
आपूर्ति प्रमंडल, बेतिया
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