ट्रेन चलने का इंतजार कर रहे इलाके के लोग
किसी भी इलाके में विकास की रफ्तार वहां की परिवहन सुविधाओं के साथ करती है। मगर नेपाल सीमावर्ती वनों से आच्छादित ऐतिहासिक महत्व वाला यह इलाका परिवहन के मामले में पिछड़ा हुआ है।
बेतिया । किसी भी इलाके में विकास की रफ्तार वहां की परिवहन सुविधाओं के साथ करती है। मगर, नेपाल सीमावर्ती वनों से आच्छादित ऐतिहासिक महत्व वाला यह इलाका परिवहन के मामले में पिछड़ा हुआ है। रेल सेवाएं इस इलाके के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। नरकटियागंज से भिखनाठोरी का ऐतिहासिक रेलखंड आज वर्षो से नई रेलगाड़ियों के पहियों की आवाज सुनने का इंतजार कर रहा है। साथ ही यहां के निवासियों को भी इस ट्रेन का इंतजार है। आज से लगभग 4 साल पहले 24 अप्रैल 2015 को छोटी लाइन वाली ट्रेनों का परिचालन रोक दी गई थी। विभाग व सरकार ने कहा था कि चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष में 2017 तक आमान परिवर्तन को पूरा कर लिया जाएगा। लेकिन, चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष का आगमन भी और गुजर भी गया। लेकिन, आज तक इस रूट पर ट्रेनों का परिचालन शुरू नही किया जा सका। लगभग 35.7 किलोमीटर लंबी यह रेल लाइन अब इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगा। वन विभाग की आपत्ति के बाद इस रूट की दूरी नरकटियागंज से गौनाहा तक लगभग 22 किलोमीटर तक ही होगी।
नरकटियागंज-भिखनाठोरी रेलखंड पर अमोलवा व गौनाहा के बीच गांधी की कर्मभूमि के महत्व को देखते हुए भितिहरवा हाल्ट का निर्माण कराया गया था। ऐतिहासिक ²ष्टिकोण के साथ साथ सामरिक ²ष्टि से भी यह रेलखंड महत्वपूर्ण है। मगर, इन सबके बावजूद यह रेलखंड सरकार व रेलवे की नजर से ओझल है। सामाजिक कार्यकर्ता व बुद्धिजीवी मोबिन अहमद का कहना है कि अंग्रेजों ने जो विकास का काम किया। आज देश के नागरिकों का हकमारी की जा रही है। वैधनाथ यादव व विजय जयसवाल का कहना है कि सरकार की ढुलमुल नीतियों के कारण रेलखंड पर आज तक गाड़ियां नही चल सकी। इसके कारण आम जनता को निजी वाहन चालकों द्वारा आर्थिक शोषण का शिकार होना पड़ रहा है । युवा समाजसेवी अमित कुमार उर्फ गुड्डू कुमार ने बताया कि इस रेलखंड के शुरू हो जाने से पिछड़े थारू जनजाति बहुल इस इलाके के विकास को पंख लग जाएंगे। भितिहरवा निवासी शिवशंकर चौहान, हरिशंकर चौहान, चंद्रगुप्त चौहान, दिनेश प्रसाद यादव, उमेश चौहान, नौशाद आलम, मधु साह का कहना है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के स्मृति से जुड़े इस रेलखंड की उपेक्षा से जनमानस में गुस्सा है। वर्षो से अपने अमान परिवर्तन की बाट जोह रहा इस रेलखंड से लाभ लेने वाले लोग अब निराश होने लगे हैं। स्थानीय मुखिया जमीला खातून कहती है कि ट्रेन को भिखनाठोरी तक चलना चाहिए। इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगा गौनाहा- भिखनाठोरी रेलखंड वन विभाग ने गौनाहा से भिखनाठोरी रेलखंड में उपयोग भूमि को अनुपयुक्त बताते हुए लगभग 194. 314 एकड़ भूमि को हस्तानांतरण करने की मांग की है। वन प्रमंडल पदाधिकारी सह उपनिदेशक अंबरीश कुमार मल्ल ने नरकटियागंज उपनिबंधक को पत्र लिखा है। प्रतिलिपि डीएम डॉ. निलेश रामचंद्र देवरे को भी भेजा है। उप निबंधक लिखे गए पत्र में डीएफओ अंबरीश कुमार मल्ल ने कहा है कि नरकटियागंज- भिखनाठोरी रेल लाइन गौनाहा- भिखनाठोरी खंड को बंद कर दिया जाय। अनुपयुक्त 194.314 एकड़ भूमि को वन विभाग को लौटा दी जाय। उन्होंने कहा है कि गौनाहा-भिखनाठोरी रेलखंड की उक्त भूमि को पर्यावरण, वन एवं जलवायु विभाग को हस्तानांतरण किये जाने का प्रस्ताव है। भूमि का मूल्यांकन की आवश्यकता भी है। डीएफओ ने उप निबंधक नरकटियागंज को लिखे पत्र में कहा है कि गौनाहा-भिखनाठोरी रेलखंड की बंद करने के बाद उसकी 194.314 एकड़ जमीन जो उपयोग में नहीं होगी। नेपाल के निवासियों के आवागमन का था प्रमुख मार्ग भिखनाठोरी से नरकटियागंज होते हुए दिल्ली तक जाने के लिए नेपाली लोगों के लिए यह प्रमुख रेलमार्ग था। यह एतिहासिक इलाका भी है। होली व दशहरा में प्रवासी नेपाली नागरिकों के रेल भरकर मेला उतरता था। स्थानीय पुन्ना सिंह का कहना है कि पड़ोसी देश नेपाल के साथ संबंधों को बेहतर बनाने में ट्रेन की प्रमुख भूमिका हो सकती है। नेपाल से बड़ी संख्या में लोग इस इलाके में आते-जाते हैं। साथ ही भारतीय लोग भी नेपाल की ओर सैर-सपाटे के लिए आते-जाते रहते हैं। इसलिए इस इलाके को रेलमार्ग से जोड़ने की अत्यंत जरूरत है। रेल मार्ग से इस इलाके को जोड़ देने से यहां पर मौजूद ऐतिहासिक स्थलों का भी विकास होगा। साथ ही वन पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगी। इसके लिए बहुत ज्यादा परेशानी भी नहीं है। अमान परिवर्तन की गाड़ी को विस्तार देने की जरूरत है, ताकि इस इलाके का भी सर्वांगीण विकास हो सके। इसके लिए केंद्र सरकार के रेलवे और वन विभाग के उच्चाधिकारियों को पहल करने की जरूरत है, ताकि रेलवे परिवहन के क्षेत्र में इस क्षेत्र को भी आवश्यक सुविधाएं हासिल हो सके। सरकार को गौनाहा-भिखनाठोरी रेलखंड पर ट्रेनों की बहाली पर पुनर्विचार करना चाहिए ताकि दो देशों के संबंधों को और मधुर बनाया का सके।