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शहर में जाम का झाम, इस बार वोटर करेंगे कल्याण

एक तो भाग दौर की जिदगी उपर से जाम शहरवासियों को परेशानी में डाल देती है। जाम एक ऐसी समस्या है जो पूर्ण रूप से विकास को प्रभावित करती है बेतिया शहर भी जाम की समस्या से करा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 12:42 AM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 06:35 AM (IST)
शहर में जाम का झाम, इस बार वोटर करेंगे कल्याण
शहर में जाम का झाम, इस बार वोटर करेंगे कल्याण

बेतिया । एक तो भाग दौर की जिदगी, उपर से जाम शहरवासियों को परेशानी में डाल देती है। जाम एक ऐसी समस्या है, जो पूर्ण रूप से विकास को प्रभावित करती है, बेतिया शहर भी जाम की समस्या से करा रहा है। इस समस्या से निजात पाने के लिए कई पहल भी की गई, लेकिन अब तक निजात नहीं मिली है। इस बार शहर के मतदाता इस समस्या को चुनावी मुद्दा बनाने के मूड में हैं। एक लाख से अधिक आबादी वाले इस शहर में जाम की समस्या विकराल रूप धारण किए हुए है।

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आज के दौर में सुगम यातायात विकास का पैमाना माना जाने लगा है, लेकिन पश्चिम चम्पारण का जिला मुख्यालय पिछले कई वर्षों से जाम के झाम में फंसा है। बेतिया में लाखों लोग रहते हैं। प्रतिदिन करीब 40 हजार लोग विभिन्न कामों के लिए बाजार आते-जाते रहते हैं। शहर में अतिक्रमण और ट्रैफिक व्यवस्था सुदृढ नहीं रहने के कारण यहां की सड़कों पर सदैव जाम लगी रहती है। बेतिया में लगी जाम का असर न सिर्फ यहां वरन जिले के विभिन्न भागों में पड़ता है। शहर को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए अब तक कोई ठोस और कारगर कदम नहीं उठाया जा सका है, जो भी कार्रवाई हुई है, वह ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। इस बार शहर का सड़क जाम चुनाव में बड़ा मुद्दा बनता दिख रहा है। अतिक्रमण सड़क जाम का सबसे बड़ा कारण शहर के सड़क जाम के लिए अतिक्रमण सबसे बड़ा कारण है। लोग सड़क के बड़े भाग को अतिक्रमण कर लिए है। नगर परिषद से जुड़े लोगों का मानना है कि शहर में बने 24896 मकान में 80 फीसदी मकान मालिकों ने सरकारी भूमि का कुछ ना कुछ अंश जरूर अतिक्रमित किया है। अतिक्रमण के कारण सड़के सिकुड़ती जा रही है और जाम की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। लोग सड़क के अलावे नालियों को भी अतिक्रमित कर लिए है। कई बार नगर परिषद की ओर से अतिक्रमण हटाया जाता है, लेकिन कुछ ही दिन के बाद इसपर लोग फिर काबिज हो जाते हैं। नप के पदाधिकारियों का कहना है कि एक बार अतिक्रमण हटाने के बाद फिर से अतिक्रमण न हो इसकी जिम्मेवारी पुलिस व प्रशासन की है, लेकिन पुलिस व प्रशासन की ओर से इस काम में रूचि नहीं लिए जाने के कारण अतिक्रमण हटाए गए जगह फिर से अतिक्रमण का शिकार हो जाता है।

इनसेट

पार्किंग व ट्रैफिक सिस्टम भी लचर

व्यवस्था से लगता सड़क जाम वर्ष 2017-18 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार सिर्फ नगर परिषद क्षेत्र में

235 बस, 4 मीनी बस, 850 टेम्पू, 110 फोर विलर टेम्पू, 350 ई. रिक्शा, 225 पीकअप भान है। जबकि प्रतिदिन हजारों की संख्या में छोटी-बड़ी वाहनें शहर में प्रवेश करती है। गाड़ियों की बड़ी बोझ होने के बाद भी यहां उनके लिए पार्किंग स्थल का अभाव है। सरकारी रिकार्ड में शहर में चार पार्किंग स्थल है। लेकिन सभी स्थल पर अवैध कब्जा है। बताया जाता है कि सागर पोखरा, मीना बाजार, छावनी टेम्पू स्टैंड, सोआबाबू चौक पूर्व से ही पार्किंग स्थल है, लेकिन आज स्थिति ऐसी है कि यहां वाहन पार्क करना बड़ी संख्या है। इन स्थलों को अतिक्रमित कर लिया गया है, हालांकि कई अतिक्रमणकारियों के खिलाफ हाई कोर्ट में वाद चल रहा है। ट्रैफिक सिस्टम के लिए पुलिस की ओर से करीब 40 पुलिस व होमगार्ड जवानों को जरूर लगाया गया है, लेकिन शहर की जनसंख्या और वाहनों के भार के अनुपात में यह काफी कम है। मानसिकता में लानी होगी बदलाव

शहर में जाम के लिए सिर्फ प्रशासनिक अमला ही जिम्मेवार नहीं है। वरन आमलोगों की लापरवाही भी इसमें एक कारण है। शहर के लोगों का कहना है कि सड़क जाम से निजात के लिए पुलिस व प्रशासन को कदम आगे बढ़ाना ही होगा। आमलोगों को भी अपनी मानसिकता में बदलाव लानी होगी। गंडक चौक दो के देशबंधु दूबे, न्यू कॉलोनी के अजय कुमार, शिक्षक नगर के नृपेंद्र पांडेय, लालबाजार के अखिलेश दूबे, इंदिरा चौक के सूरज कुमार, इलम राम चौक के संजीव कुमार का कहना है कि कई बार लोग जल्दी आगे बढ़ने के चक्कर में अपने वाहनों को बेतरतीब ढंग से आगे बढ़ा देते है, जिस कारण जाम लग जाता है। जिसका खामियाजा सभी को भुगतना पड़ता है। लोगों को दो मिनट की देरी बर्दाश्त नहीं होती, जबकि इस कारण जाम में आधे-आधे घंटे तक फंसे रह जाते है। लोगों को इस तरह की मानसिकता में बदलाव लानी होगी। राज दयोढ़ी के मनोज शुक्ल, बानुछापर के जितेंद्र कुमार, इंदिरा चौक के दीपू कुमार ने कहा कि अब समय आ गया कि इस मुद्दे पर गहराई से सोची जाए। जनप्रतिनिधियों को भी पुलिस और प्रशासनिक पदाधिकारियों पर दबाव डालना होगा, ताकि वे लोग शहरवासियों को जाम से निजात दिलाने के लिए सार्थक कदम बढ़ा सके। बड़े प्रतिष्ठानों के पास नहीं है पार्किंग की व्यवस्था विकास के दौर में शहर में कई मॉल और बड़े-बड़े व्यवसायी प्रतिष्ठान खुल गए है, लेकिन ऐसे प्रतिष्ठान के मालिक भी उन तक आने वाले लोगों के लिए पार्किंग सुविधा की कोई व्यवस्था नहीं किए है। जिस कारण मॉल व प्रतिष्ठान में आने वाले लोग सड़क के किनारे ही अपने वाहनों को खड़ा करते है। जिसके कारण भी उन प्रतिष्ठानों के सामने जाम लगने लगता है। ऐसे मामले में नगर परिषद की ओर से कड़ाई नहीं की जाती है। जिससे ऐसे प्रतिष्ठानों के आंकड़े बढ़ते जा रहे है।


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