Move to Jagran APP

नेपाल सीमा पर व्यवस्था शर्मसार, पानी के लिए हरदम मचता हाहाकार

दूसरे देश की सीमा पर पहुंचकर वहां की सभ्यता व संस्कृति से वाकिफ होने की चाहत किसे नहीं होगी? वह भी तब जब सीमा पर प्रकृति की अनुपम छटा दोनों बाहें फैलाये स्वागत के लिए तैयार हो।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 12:13 AM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 06:22 AM (IST)
नेपाल सीमा पर व्यवस्था शर्मसार, पानी के लिए हरदम मचता हाहाकार
नेपाल सीमा पर व्यवस्था शर्मसार, पानी के लिए हरदम मचता हाहाकार

बेतिया । दूसरे देश की सीमा पर पहुंचकर वहां की सभ्यता व संस्कृति से वाकिफ होने की चाहत किसे नहीं होगी? वह भी तब, जब सीमा पर प्रकृति की अनुपम छटा दोनों बाहें फैलाये स्वागत के लिए तैयार हो। हम बात कर रहे हैं पश्चिम चंपारण जिले के नेपाल सीमा पर अवस्थित भिखनाठोरी की। यह स्थान जितना मन को शांति, सुकून और तरोताजा बनाता है उतना ही यहां सरकारी व्यवस्था की कमी मन को उदास करती है। आलम यह कि आपको जब भारत-नेपाल की सीमा पर बसे भिखनाठोरी की यात्रा करनी हो तो पानी भी साथ लाने की विवशता अब भी बनी हुई है। यहां इक्कीसवीं सदी में भी पीने का पानी उपलब्ध नहीं है। जबकि, औसतन यहां प्रतिमाह करीब पंद्रह सौ से अधिक सैलानी यहां पहुंचते हैं। पेश है गौनाहा से रपट : भारत-नेपाल अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर अवस्थित करीब दो हजार से अधिक की आबादी वाले भिखनाठोरी में आज भी पानी का अकाल है। लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए नदी नालों पर निर्भर रहना पड़ता है। आज जब सरकार करोड़ों रुपये पैसा खर्च कर हर घर नल जल की व्यवस्था कर रही है। वैसे में भिखनाठोरी के लोग आज भी साफ पानी के लिए बेहाल हैं। यहां के महिला-पुरुषों को कई किलोमीटर की दूरी पर जाकर गगरी तथा घड़ा में पानी लाकर गले की प्यास बुझानी पड़ती है। खाना बनाने के लिए नदी के गंदे पानी पर निर्भर रहना पड़ रहा है। यहां एक भी चापाकल नहीं है। सरकार के प्रयास से सोलर पानी टंकी की व्यवस्था की गई थी, जिससे लोगों को कुछ दिनों तक शुद्ध पानी पीने को मिला। मगर वह व्यवस्था भी ढाक के तीन पात साबित हुई। विगत पांच महीने से जल का स्तर नीचे चले जाने से पानी का निकलना बंद हो गया है। सरकारी नल की व्यवस्था सफेद हाथी बन कर मुंह चिढ़ा रहा है। स्थानीय पूर्व मुखिया दयानंद सहनी बताते हैं कि पानी नहीं है लेकिन कोई भी सरकारी अधिकारी आज तक सुध लेने यहां नहीं आया। ग्रामीण पुन्ना सिंह बताते हैं कि पहले जब सोलर प्लेट से पानी नहीं मिलता था तब पीडब्ल्यूडी द्वारा टैंकर से पानी लाकर यहां लोगों को पीने का शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाता था। लेकिन वह भी आजकल बंद है। मोतीलाल पासवान का कहना है कि हमलोगों को पूछने वाला कौन है। सीमा पर अवस्थित इस अंतिम गांव में कोई भी अधिकारी पूछने नहीं आता है । कई बार नेपाल के क्षेत्र में पानी के लिए जाने पर नेपाली स्थानीय लोगो द्वारा मारपीट भी हो जाती है। पूर्व वार्ड सदस्य धन्नू देवी कहती है कि पानी के इस संकट में सबसे ज्यादा परेशानी हम महिलाओं को झेलनी पड़ती है। लोग पानी भरते समय फब्तियां कसते है, लेकिन हम मजबूर औरतें अपने परिवार की प्यास बुझाने के लिए घर से बाहर निकल कर पानी लाने जाती है। लोगो में सरकार की विभागीय उदासीनता से नाराजगी है।

loksabha election banner

इनसेट

जंगल का कानून झेल रही जिदगी

यहां कुछ अजीब बिडम्बनाएं भी है। जंगल का कुछ हिस्सा पार करने के बाद आप भिखनाठोरी पहुंचेंगे। इस कारण यहां जंगल का कानून ज्यादा लागू होता है। करीब दो हजार से अधिक की आबादी वाले इस इलाके को राजस्व ग्राम का दर्जा प्राप्त नहीं है। यहां रहनेवाले ग्रामीणों को जमीन पर पूर्ण अधिकार नहीं है। इसलिए बहुत सारी सुविधाएं उन्हें नहीं मिल पाती है। यहां जाने के लिए सड़क भी माकूल नहीं है। मगर यहां पहुंचने के बाद आप पाएंगे कि आप प्रकृति की गोद में है। उजला पहाड़ी की विभिन्न चोटियां, बड़ी नदी, नदियों में बालू व पत्थर के साथ जॉर्ज पंचम का गेस्ट हाउस भी देखने को मिलता है। इसके साथ ही भारत व नेपाल की कदमताल करती संस्कृति, लक्ष्मण झूला आदि भी आपके आकर्षण के केंद्र में होगा। वहीं सीमा पर नेपाली पहाड़ियों से निकली अमृत जलधारा लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। कहते हैं कि भोजन को जल्दी पचाने वाला यह पानी स्वाद में भी काफी मीठा है। वाटर लेवल यहां बड़ी समस्या

यहां सबसे बड़ी समस्या वाटर लेवल की है। यहां जमीन से पानी निकालने की कई बार कोशिश की गई है, मगर पथरीला जगह होने की वजह से पानी नहीं निकाला जा सका। तब इस इलाके के लोगों के जीवन-यापन के लिए प्रतिदिन एक टैंकर पानी नरकटियागंज से भेजवाने का इंतजाम शुरू कराया गया। जब भी टैंकर से पानी आता पानी के लिए लोगों की लंबी लाइन लग जाती। लोग पानी की अहमियत को जानकर उसे सहेज कर रखते। बाद के दिनों में सोलर के माध्यम से पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था की गई मगर अब वह भी जवाब दे चुका है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.