शहर के कचरे से तैयार होगा वर्मी कंपोस्ट
अब शहरी कचरे लोगों के लिए परेशानी का कारण नहीं बनेगा। कचरा चाहे ठोस अवशिष्ट पदार्थ हो या अपघटित होने वाला हो सभी का निस्तारण हो जाएगा। निस्तारण के बाद इससे उपयोगी पदार्थो के निर्माण कराए जाएंगे।
बेतिया। अब शहरी कचरे लोगों के लिए परेशानी का कारण नहीं बनेगा। कचरा चाहे ठोस अवशिष्ट पदार्थ हो या अपघटित होने वाला हो सभी का निस्तारण हो जाएगा। निस्तारण के बाद इससे उपयोगी पदार्थो के निर्माण कराए जाएंगे। सामन्यत: यह पाया जाता है कि शहरी क्षेत्र में दो तरह के कचरे होते हैं। पहला डिग्रेडेबल यानी जिसका अपघटन आसानी से हो सके और दूसरा नन डिग्रेडेबल अर्थात जिसका अपघटन तो नहीं होता है, लेकिन इसे गलाकर इसका उपयोग दूसरे कार्य में किया जा सकेगा। इस तरह के कचरों की श्रेणी में प्लास्टिक से जुड़ कचरा है। इसमें प्लास्टिक को गलाकर इस रूप में बदल दिया जाएगा, जिससे इसका उपयोग सड़क बनाने में किया जा सकेगा। जबकि पहले श्रेणी के कचरे से वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जाएगा। दोनों तरह के कचरों के निस्तारण के लिए नगर परिषद कचरा निस्तारण प्लांट लगाने वाला है। इस तरह के कचरा निस्तारण प्लांट लगाने के बाद बेतिया शहर सूबे के पांच शहरों में शामिल हो जाएगा, जहां कचरा निस्तारण से जुड़े प्लांट लगाया जाना है। बेतिया नगर परिषद कचरा निस्तारण प्लांट से जुड़े प्रस्ताव पारित करने के बाद इस दिशा में कार्य करना शुरु कर दिया है। नगर परिषद के द्वारा इस तरह के प्लांट लगाए जाने के बाद एक तरफ पर्यावरण संरक्षण क्षेत्र में बेहतर पहल होगी, तो दूसरी ओर प्लास्टिक जैसे कचरों का निस्तारण भी आसानी से हो पाएगा। अब तक प्लास्टिक से जुड़े शासन व आम लोगों के लिए चुनौती बनी हुई थी। लेकिन अब इससे उपयोगी वस्तु का निर्माण हो पाएगा। तो दूसरी ओर वर्मी कंपोस्ट के निर्माण से यह व्यवस्था जैविक खेती से जुड़ जाएगी। यहां से तैयार वर्मी कंपोस्ट किसानों के बीच निर्धारित मूल्य पर बिक्री की जाएगी, जिससे नप की आय भी बढ़ेगी।
कैसे बनेगा कचरे से कंपोस्ट
कचरे से वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए सबसे पहले घरों से निकलने वाले कचरों को एकत्रित किया जाएगा। इसमें सूखा एवं गीला कचरों को अलग-अलग करने के बाद इसे ढ़ोकर लाया जाएगा। अलग-अलग कचरों के उठाव के लिए नगर परिषद तकरीबन सभी परिवारों में दो=दो डस्टबीन दे चुका है। घरों से निकलने वाले कचरों को एक जगह एकत्रित किया जाएगा। फिर नप के सफाई कर्मी कचरों को छांटेंगे। प्लास्टिक, लोहा, कपड़ा, कागज या अन्य तरह के कचरे को अलग किया जाएगा। प्लास्टिक से प्लास्टिक के उपयोगी समान बनेंगे और लोहा से लोहे के सामान। बाकी बचे कचरे को कंपोस्ट बनाने में प्रयोग किया जाएगा। नगर परिषद छटाई के लिए एनजीओ का सहारा लेने पर भी विचार कर रहा है।
कहा है परेशानी
इस काम में थोड़ा वक्त लगने की संभावना जताई जा रही है। कारण कि नप के पास अभी पर्याप्त संसाधन नहीं है। संसाधनों को जुटाने के लिए नप इस दिशा में पहल तेज कर दिया है। बोर्ड की बैठक में इस पर विशेष मंथन की संभावना जताई जा रही है।