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नहीं सुधरे हालात, मरीजों को बेड तक मयस्सर नहीं

लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद एक बार फिर से जनता को आश्वासन और वादों की खुराक दी जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 10:23 PM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 10:23 PM (IST)
नहीं सुधरे हालात, मरीजों को बेड तक मयस्सर नहीं
नहीं सुधरे हालात, मरीजों को बेड तक मयस्सर नहीं

बगहा । लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद एक बार फिर से जनता को आश्वासन और वादों की खुराक दी जा रही है। प्रत्याशी वाल्मीकिनगर को स्वर्ग बनाने का दावा कर रहे हैं। लेकिन, यदि अतीत के पन्नों को पलटा जाए तो फिर प्रत्याशियों का दावा मुंह चिढ़ाता नजर आता है। विकास व जन कल्याण के दावे खोखले नजर आते हैं। उदाहरण के तौर पर पंडित कमलनाथ तिवारी अनुमंडलीय अस्पताल को लिया जा सकता है। बीते लोकसभा चुनाव में कई प्रत्याशियों ने अस्पताल की व्यवस्था को अपडेट करने का आश्वासन दिया था। यहां बेड की संख्या बढ़ाने की बात कही गई। लेकिन, दुर्भाग्य यह कि 5 साल के बाद भी स्थिति नहीं सुधरी है। स्थापना काल से ही इस अस्पताल में महज 30 बेड उपलब्ध हैं। नियमानुसार अनुमंडलीय अस्पताल में बेडों की संख्या कम से कम 100 होनी चाहिए। कई बार प्रसव के बाद महिलाओं को बेड तक मयस्सर नहीं होता। पांच साल में हालात नहीं बदलने से लोग खासे नाराज हैं। घोषणाओं और उम्मीदों के बीच नहीं बढ़ी बेडों की संख्या :-

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तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री बिदेश्वरी दूबे ने 23 अगस्त 1976 में इस अस्पताल का उद्घाटन किया। तब आबादी काफी कम थी। यहां से बेतिया और गोरखपुर की अधिक दूरी को देखते हुए विभाग द्वारा 1981 में इसे अपग्रेड करते हुए अनुमंडलीय अस्पताल का दर्जा दिया गया। 100 बेड के साथ 31 चिकित्सकों की पदस्थापना को हरी झंडी दी गई। दिन गुजरते गए, इस बीच आश्वासन मिला तो उम्मीदों को पंख लगे। लेकिन, न बेडों की संख्या बढ़ी और न चिकित्सकों की पदस्थापना हुई। असर तब दिखता है जब परिवार नियोजन पखवारा जैसे महत्वपूर्ण अभियान के दौरान बंध्याकरण होता है, तब अस्पताल प्रबंधन टेंट से बेड की व्यवस्था करता है। आखिर कब बहुरेंगे इस अस्पताल के दिन :-

बगहा पुलिस जिला कुल सात प्रखंडों का प्रतिनिधित्व करता है। इन प्रखंडों में लाखों लोग रहते हैं। लेकिन, उन्हें स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर अबतक सिर्फ यह अस्पताल मिला है। जहां संसाधन की कमी तो है ही, पर्याप्त संख्या में चिकित्सक भी तैनात नहीं हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पर्याप्त संसाधन उपलब्ध होता तो रेफर की मजबूरी नहीं होती। आखिर इस अस्पताल के दिन कब बहुरेंगे।


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