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अतिक्रमणकारियों की हिफाजत और जाम पर सियासत

ये रामनगर शहर है। यहां के चौक-चौराहे हो या फिर मुख्य सड़क। अतिक्रमणकारियों के पांव सभी जगह पूरी मजबूती से जमे हैं। नियम-कायदे ताक पर हैं और अतिक्रमणकारी लगातार अपना पांव फैला रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 12:42 AM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 12:42 AM (IST)
अतिक्रमणकारियों की हिफाजत और जाम पर सियासत
अतिक्रमणकारियों की हिफाजत और जाम पर सियासत

बगहा । ये रामनगर शहर है। यहां के चौक-चौराहे हो या फिर मुख्य सड़क। अतिक्रमणकारियों के पांव सभी जगह पूरी मजबूती से जमे हैं। नियम-कायदे ताक पर हैं और अतिक्रमणकारी लगातार अपना पांव फैला रहे हैं। पहले फुटपाथ पर दुकान सजाते थे, अब सड़क तक पहुंच गए हैं। न कोई टोकने और न ही रोकने वाला है। उनकी मनी मैनेजमेंट इतनी भारी है कि उनके समक्ष जिला, पुलिस व नगर पंचायत प्रशासन सब के सब नतमस्तक हैं। वोट बैंक के नाम पर सियासत के खिलाड़ी इनकी बात आते ही मौन हो जाते हैं। अतिक्रमण से कराह रहे शहरवासी लोकसभा चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा बनाएंगे। पेश है अतिक्रमण से कराहते शहर की हिफाजत पर सियासत की पड़ताल करती बगहा से सुनील आनंद की रपट।

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नेताजी के नाम पर सरकारी भूमि पर कब्जा

रामनगर शहर के मध्य से गुजरती है त्रिवेणी नहर। नहर के दोनों तटबंध पर इन दिनों अतिक्रमणकारियों का बोलबाला है। शहर से सबुनी की ओर जाने वाली सड़क में त्रिवेणी नहर के खाली तटबंध को हाल में झुग्गी -झोपड़ी डालकर अतिक्रमण कर लिया गया। करीब 50 की संख्या में अतिक्रमणकारी एक साथ आए और झोपड़ी खड़ी कर दिए। पहले तो पुलिस और सिचाई विभाग के अधिकारी भी पहुंचे। इनको खदेड़ने की कार्रवाई भी की गई। लेकिन, जब इन अतिक्रमणकारियों को नेताजी का साथ मिला तो मानो पौ-बारह हो गए। दो दर्जन से अधिक झंडी बनी और मोहल्ले का नाम दिया गया नीतीश नगर। फिर क्या था उसके बाद इन अतिक्रमणकारियों को हटाने की हिम्मत न तो सिचाई विभाग के अधिकारी कर पाए और नहीं स्थानीय पुलिस । पिछले छह माह से ये अतिक्रमणकारी यहां जमे हैं और धीेरे-धीेरे अपना पांव पसार रहे हैं।

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शहर के सभी चौराहे सब्जी मंडी शहर के सर्वाधिक व्यस्ततम चौराहों में से एक है भगत सिंह चौक। यहां अभी हाल ही में रामरेखा नदी पर पुल का निर्माण हुआ है। पुल निर्माण आवागमन में सुविधा के लिए कराया गया। लेकिन, जब से पुल बना तभी से यह सब्जी मंडी बन गई है। पुरानी बाजार समेत अन्य मार्केट में दुकान लगाने वाले व्यापारियों के वाहन का पड़ाव और सब्जी की दुकानों से पुल का अधिकांश हिस्सा अतिक्रमण की गिरफ्त में आ गया है। पुलिस वाले यहां ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए गश्त करते हैं। लेकिन, उनकी हिम्मत नहीं है कि ये सब्जी के दुकानदारों को यहां से हटा सकें। क्योंकि, इन सब्जी दुकानदारों को भी सियासी संरक्षण प्राप्त है। इसी तरह से एक चौराहा कविवर सुंदर चौक हैं। यहां भी सब्जी दुकानदारों की बादशाहत है। ये बेरोकटोक सड़क का अतिक्रमण कर सब्जी की दुकान लगाते हैं और इनके खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत किसी में नहीं है।

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आंबेडकर चौक पर पल-पल लगता जाम

जी हां, ये है आंबेडकर चौराहा। इस चौराहे पर अस्थाई ढंग से बस स्टैंड है। इसी चौराहे में त्रिवेणी नहर के तटबंध पर टैक्सी का पड़ाव होता है। नगर पंचायत की हैसियत देखिए। अपनी कोई भूमि नहीं है। सड़क के किनारे टैक्सी खड़ी होती है और उससे टैक्स की वसूली करने के लिए ठेकेदार बहाल होते हैं। सड़क का अतिक्रमण करा कर नगर पंचायत प्रशासन टैक्स की वसूली कर रहा है। लेकिन, इस पर आवाज उठाने की हिम्मत किसी में नहीं है। सियासत करने वाले भी मौन साधे रहते हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि नगर प्रशासन के नुमाइंदों के भरोसे उनकी नाव भी पार होगी। ऐसे में लोग परेशान हो रहे हैं तो होने दीजिए। अपनी सियासत पर आंच नहीं आनी चाहिए।

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चीनी मिल के खिलाफ कोई एक्शन नहीं अतिक्रमण की वजह से सिकुड़ रही सड़कें जाम की वजह अवश्य हैं। लेकिन, चीनी मिल के पेराई सीजन में लगने वाली जाम में मिल प्रबंधन की भूमिका बड़ी है। मिल की वजह से जाम से प्रतिदिन लोग हाय-हाय करते हैं। जाम हटवाने में पुलिस वालों के पसीने छूटते हैं। लेकिन, जब कार्रवाई की बात आती है तो सभी चुप्पी साध लेते हैं। क्योंकि, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सभी मिल प्रबंधन का संरक्षण करते हैं। एसडीएम ने आदेश दिया कि गन्ना लदी डबल ट्रॉली का परिचालन प्रतिबंधित रहेगा। यह आदेश सिर्फ मौखिक ही रहा। आम किसानों पर इसे लागू कर दिया गया। लेकिन, प्रतिदिन चीनी मिल के फार्म एवं क्रय केंद्रों से गन्ना लदी डबल ट्रॉली की आवाजाही होती है। इस वजह से जाम भी लगता है। अधिकारी भी जाम में फंसते हैं। लेकिन, उनकी आंखें बंद रहती हैं। बैंक के पास पार्किंग नहीं

भगत सिंह चौक के समीप स्टेट बैंक ऑफ इंडिया व पंजाब नेशनल बैंक की शाखाएं हैं। इन दोनों के पास पार्किंग की अपनी कोई व्यवस्था नहीं है। सड़क पर ही वाहन खड़े कर लोग बैंक में जाते हैं। सड़क के किनारे बाइक व अन्य वाहनों की कतार लग जाती है। नगर पंचायत की ओर से प्रति वर्ष बैंक के अधिकारियों को पार्किंग की व्यवस्था करने के लिए नोटिस दी जाती है। लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं होती। बना ओवरब्रिज तो मिली राहत

वैसे तो ओवर ब्रिज के निर्माण पर भी जमकर सियासत हुई थी। निर्माण का क्रेडिट लेने के लिए होड़ लगी रही । लेकिन, जिसके प्रयास से भी यह काम हुआ, वाकई यहां के लोगों को काफी राहत मिली। यह अलग बात है कि कुछेक स्थानीय नेताओं की वजह से ओवरब्रिज निर्माण के साथ सड़क व नाले की योजना धरातल पर नहीं उतर पाई। लेकिन, जाम की समस्या से राहत दिलाने में ओवर ब्रिज की भूमिका अहम है। -- 23 वार्डो को मिला कर बनी है रामनगर की नगर पंचायत

-- 48411 की आबादी वाले शहर में हर घर में शौचालय की व्यवस्था

-- 1980 में बनी मसान डैंप परियोजना की कालोनी पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा

-- 10 एकड़ से अधिक सिचाई विभाग की भूमि पर अतिक्रमणकारी काबिज नगर पंचायत रामनगर के राजस्व का स्त्रोत

सैरात वर्ष 2018 - 19 वर्ष 2019- 20

शौचालय 1. 47 लाख 47 हजार

मवेशी फाटक 45 हजार 45500

टेंपो - टैक्सी 10 लाख 36 हजार 10 लाख 42 हजार

वाहन पार्किंग 30 लाख 20 हजार 30 लाख 21 हजार


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