बदला सब कुछ, अब धन और बल हावी
पहले चुनाव प्रचार के दौरान गांव में उम्मीदवार आकर बताते थे कि मेरा यह चुनाव चिह्न है। प्रत्याशियों की संख्या अधिकांशत दो से अधिक नहीं रहती थी।
बगहा । पहले चुनाव प्रचार के दौरान गांव में उम्मीदवार आकर बताते थे कि मेरा यह चुनाव चिह्न है। प्रत्याशियों की संख्या अधिकांशत: दो से अधिक नहीं रहती थी। बैलेट पेपर पर मुहर लगाकर अपने मनपसंद उम्मीदवार का चुनाव करते थे। यह कहना है नगर के सुबनी गांव निवासी कन्हैया प्रसाद की 80 वर्षीय पत्नी इंदिरा देवी का। कहती हैं कि चुनाव के दिन सभी लोग नए कपड़े पहनकर वोट देने जाते थे। लगता था मानो समूचा गांव किसी मेले में जा रहा है। किंतु, अब सबकुछ अब बदल गया है। पहले महिलाएं मतदान का मतलब ही नहीं समझती थीं। पुरूष ही अधिकतर वोटिग में हिस्सा लेते थे। पर, धीरे-धीरे महिलाएं जागरूक होने लगीं। आज के चुनाव में प्रचार के दौरान एक पार्टी के समर्थक निकलते हैं, तबतक दूसरे पहुंच जाते हैं। चुनाव में प्रत्याशियों की संख्या भी दर्जनों तक पहुंच जाती है। धन बल का प्रयोग होता है। मैं इस उम्र में भी वोट देने जाती हूं। कारण हर जिम्मेदार नागरिक को अपने मताधिकार का प्रयोग करना चाहिए।
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