तब चुनाव में होती थी आर- पार की लड़ाई
पहले चुनाव में इतनी पार्टियां नहीं होती थी। इतने उम्मीदवार भी नहीं होते थे। देश की आजादी के बाद कांग्रेस ही एक मात्र बड़ी पार्टी थी। माता- पिता और गांव के अमीर लोगों के कहने पर वोट दिया जाता था।
बगहा । पहले चुनाव में इतनी पार्टियां नहीं होती थी। इतने उम्मीदवार भी नहीं होते थे। देश की आजादी के बाद कांग्रेस ही एक मात्र बड़ी पार्टी थी। माता- पिता और गांव के अमीर लोगों के कहने पर वोट दिया जाता था। बगहा प्रखंड एक के कोल्हुआ गांव निवासी 80 वर्षीय सेवानिवृत्त डाकपाल मो. इजहार का कहना है कि वह इंटर में पढ़ रहे थे। मतदाता सूची में नाम जुड़ा। वोट करने को लेकर काफी उत्सुक थे। घर के लोग बोले कि मतदान अमूक पार्टी को करना है। गांव में सभी लोग इसी पार्टी को वोट देंगे। माता- पिता के कहने पर ही मतदान किया था। लेकिन, अभी हालात काफी बदल गए हैं। किसी के कहने पर मतदान करने की परिपाटी पूरी तरह से बंद हो गई है। उस वक्त उम्मीदवार गांव के मुख्य लोगों के पास जाते थे। इसके बाद वे लोग ही निर्णय कर देते थे कि किसे वोट देना है। गांव के रसूखदार लोग ही गरीबों के वोट डाल देते थे। जब गरीब मतदान केंद्र पर आते थे, तबतक उनका वोट डाला चुका होता था। एजेंट कह देते की आप का मतदान हो चुका है। मतदाता चुपचाप वापस चले जाते थे। उस समय गरीब आवाज तक नही उठा पाते थे।