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उत्तरायण हुए सूर्य, स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने दिया दान

बगहा। मकर संक्रांति पर मंगलवार की सुबह से ही उत्सवी माहौल रहा। घर-घर त्योहारी उमंग देखते ही बन रहा था।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 09:25 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 09:25 PM (IST)
उत्तरायण हुए सूर्य, स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने दिया दान
उत्तरायण हुए सूर्य, स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने दिया दान

बगहा। मकर संक्रांति पर मंगलवार की सुबह से ही उत्सवी माहौल रहा। घर-घर त्योहारी उमंग देखते ही बन रहा था। सुबह स्नान और दान की धूम रही। लोग घरों से निकले और निकटवर्ती नदियों और जलाशयों में जाकर स्नान किया। इसके उपरांत यथासंभव दान कर लोगों ने अपनी उन्नति और सलामती की दुआ मांगी। त्योहार को लेकर एक दिन पूर्व ही गुड़-भूंजा से लाई और तिल से तिलकुट बनाए गए थे। ब्राह्मणों को दान के बाद लोगों ने लाई-तिलकुट का भोग लगाया। इसके साथ दही-चूड़ा और नए चावल से बने खिचड़ी का भी लोगों ने आनंद लिया। दूसरी ओर बाजारों में रौनक भी बनी रही। लोगों ने अपनी इच्छा अनुसार खरीदारी की। उत्सवी माहौल के बीच नगर की कई दुकानों पर ताला लटकता रहा। लोग एक दूसरे के घर गए और मकर संक्रांति की बधाई दी। यह बता दें कि मकर संक्रांति का त्योहार सूर्य के उत्तरायण होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह त्योहार नवान्न की खुशियों का भी प्रतीक है। अन्य प्रदेशों में इसे लोहिड़ी समेत अन्य नामों से जाना और मनाया जाता है।

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तिल और लाई के बाद चला पतंगबाजी का दौर :-

स्नान दान में बच्चों की भागीदारी त्योहार की खुशियां बढ़ाता रहा। तिल और लाई ग्रहण करने के बाद बच्चों की टोली पतंगबाजी की तैयारी में जुट गई। दोपहर खेल मैदानों और छतों की मुंडेरों पर बच्चे पहुंचे और शाम तक पतंगबाजी का दौर चलता रहा। इस क्रम में पतंग लूटने को लेकर आपाधापी मची रही।

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आज से शुरू हो जाएंगे मांगलिक कार्य

मकर संक्रांति के ठीक एक महीने पूर्व खरमास प्रारंभ होता है। जिसकी समाप्ति माघ महीने के शुरुआत के साथ हो जाती है। खरमास में शादी, मुंडन समेत अन्य मांगलिक आयोजनों पर पूर्णत: रोक रहती है। खरमास की समाप्ति के बाद एक बार फिर से मांगलिक आयोजन शुरू हो गए। पंडित चांदेश्वर तिवारी ने बताया कि सूर्य की दशा से जुड़ा यह त्योहार ¨हदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस लिए भी और महत्वपूर्ण माना जाता है।

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